नमस्कार।
विवेकानंद
केंद्र कन्याकुमारी जोधपुर विभाग द्वारा आयोजित युवा- एक व्यक्तित्व विकास
ई- कार्यशाला के अंतर्गत आज रविवार, दिनांक 6 जून,2021 को वेबिनार का
आयोजन वेबएक्स पर किया गया। वेबिनार का विषय प्लीसिंग पर्सनालिटी रखा गया
था। वेबिनार के मुख्य वक्ता विख्यात पर्सनालिटी गुरु श्री अरविन्द जी भट्ट
रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ तीन ॐ कार प्रार्थना से श्री श्याम मालवीय जी द्वारा
किया गया। तत्पश्चात मुख्य वक्ता श्री अरविन्द जी भट्ट का परिचय युवा
कार्यकर्ता सुश्री कनिका बिरला द्वारा दिया गया। प्रेरणादायी गीत कोई चलता
पदचिन्हों पर जोधपुर नगर कार्यपद्धति प्रमुख श्री हैप्पन कुमार द्वारा लिया
गया। विवेक वाणी का वाचन बीकानेर कार्यस्थान व्यवस्था प्रमुख श्री वैभव
सारस्वत द्वारा किया गया। इसके पश्चात श्री अरविन्द जी भट्ट का मार्गदर्शन
प्राप्त हुआ।
व्याख्यान के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:-
श्री अरविन्द जी भट्ट ने अपना वक्तव्य प्रारम्भ करते
हुए कहा कि प्रत्येक युग में अलग अलग युगपुरुष हुए हैं और उन्हें अलग अलग
विशेषणों से बुलाया जाता है जैसे सतयुग में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र,
त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम एवं द्वापर में जन्मे मधुर,
मनोहारी, मनोग्राही व्यक्तित्व भगवान् श्री कृष्ण हैं।
उन्होंने personality शब्द को परिभाषित करते हुए कहा कि अंग्रेज़ो के अनुसार
personality यह शब्द अंग्रेजी के persona से निकला है जिसका अर्थ होता है
मुखौटा,जो पूर्ण रूप से असत्य है परंतु वर्तमान में स्वीकार्य है। समाज
में जो व्यक्ति देखने में जैसा लगता है उसे वैसा ही माना जाता है, जो कि
दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अष्टावक्र और महात्मा गाँधी का
उदाहरण देते हुए कहा कि यह अंग्रेजी परिभाषा External पर्सनालिटी (बाहरी
व्यक्तित्व) की है। व्यक्तित्व केवल बाह्य नहीं होता बल्कि अधिकांशतः
आंतरिक होता है। प्रत्येक व्यक्ति में कोई ना कोई गुण होता है जिसे पहचानकर
उसे उत्कर्ष पर ले जाएं जहाँ जब भी उस विशिष्ट गुण की बात हो तो हमारा नाम
आये और यदि हमारी चर्चा हो तो उस विशिष्ट गुण की चर्चा हो। वह आंतरिक रूप
से मधुर व्यक्तित्व है।
मधुर व्यक्तित्व समायोजन होता है-
Earning and organization of Physical, Psychological, Emotional, Intellectual and Spiritual Qualities As Presented to others.
श्री अरविन्द जी कहते हैं कि केवल गुणों का अर्जन और
समायोजन पर्याप्त नहीं है बल्कि उनका समाज के समक्ष प्रकटीकरण/प्रस्तुतिकरण
आवश्यक है। उन्होंने गुणों के प्रदर्शन और प्रस्तुतिकरण में भी अंतर
बताया।
श्री अरविन्द जी आगे कहते हैं कि प्रस्तुतिकरण में आने वाली कठिनाई मुख्यतः शर्म (Shyness) है।
Shyness के 4 स्तर होते हैं-
1.सामान्य 2.अत्यधिक। इनमे व्यक्ति यह सोचता है कि MKK मैं कैसे करूँ?, मैं क्या करूँ? मैं कैसे करूँगा?
सामान्य shyness सभी के साथ होती है जो कि स्वाभाविक है। भारत के प्रथम
प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं लार्ड चर्चिल का उदाहरण देते हुए
उन्होंने कहा कि वे भी जब भाषण देने जाते तो पहले कुछ मिनट वे भी नार्मल
shyness का अनुभव करते थे। Extreme या अत्यधिक shyness में व्यक्ति स्वयं
पर संदेह होने लगता है यह उस पर हावी रहती है।
3.Social (सामाजिक) shyness में अकेले में व्यक्ति अच्छा करता है जबकि लोगों के सामने करने में संकोच होता है। ऐसे व्यक्ति LKK - लोग क्या कहेंगे के शिकार होते हैं।
4. Severe Social Phobia:-
इसमें व्यक्ति MKK+LKK का शिकार होता है। नकारत्मकता हावी रहती है।
इस से तुरंत बाहर निकलना चाहिए।
जिसके लिये deep breathing का अभ्यास जो कि ध्यान की प्रारंभिक अवस्था है,
योगाभ्यास आदि करना चाहिए। जो कि रिसर्च में वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित
किया जा चुका है।
आगे श्री अरविन्द जी कर्मयोगी श्री कृष्ण के मधुर व्यक्तित्व के
बारे में कहते हैं कि वे कितने आत्मविश्वासी और निसंकोची हैं। उनकी स्तुति
में गाये जाने वाला मधुराष्टकं उनके मधुर व्यक्तित्व के बारे में बताता
है।
बाहरी व्यक्तित्व में सम्मिलित हैं
अधरं मधुरं, नयनं मधुरं- जो श्यामवर्णी हैं उनके होंठ मधुर उनके नयन मधुर।
हसितं मधुरं - उनकी सौम्य मुस्कान है।महावीर जैन, महात्मा बुद्ध की मूर्तियों ओर भी सदैव सौम्य मुस्कान रहती है।
वलितं मधुरं- शयन कला मधुर,
वसनं मधुरं- देश-काल-परस्थिति के अनुसार वस्त्रों का चयन मधुर।
गमनं मधुरं- सिंह जैसी चाल है
वचनं मधुरं- मधुर शब्द बोलते हैं।
श्री कृष्ण का आंतरिक व्यक्तित्व
वदनं मधुरं- सोच मधुर है,
हृदयं मधुरं- दयालु हैं
चरितं मधुरं-
महान चरित्र, अहंकारशून्य व्यक्ति, स्वयं ने कभी राजमुकुट धारण नहीं किया,
मोर मुकुट में रहे। महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय का श्रेय स्वयं
कभी नहीं लिया, शिशुपाल प्रसंग आदि उदहारण हैं।
गीतं मधुरं- बांसुरी बजाते हैं,
पीतं मधुरं- दुग्ध पदार्थ पीते हैं
भुक्त मधुरं- योग्य भोजन करते हैं।
शमितं मधुरं- सकारत्मक आलोचना करते हैं,
दमितं मधुरं- जिसका नाश किया उसे मोक्ष दिया।
दृष्टम मधुरं- Pleasing eye contact है।
शिष्टम मधुरं-
विनम्र हैं- गांधारी के श्राप का वरण कर समाज को सन्देश दिया कि अगर अपराध
किया है तो दंड भुगतना ही होगा चाहे परमात्मा हो या परात्पर।
गोपी मधुरा, गोपा मधुरा- उनके केवल मित्र हैं उसमें जाति और लिंग भेद नहीं है।
मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
अंत मे सभी प्रतिभागियों को आगामी कार्यक्रम के लिए सूचना प्रदान की गई।
शांति मंत्र पुष्पलता दीदी, कार्यपद्धति प्रमुख बीकानेर कार्यस्थान द्वारा
लेकर कार्यक्रम का समापन किया गया। सम्पूर्ण वेबिनार का सञ्चालन श्री
मेहुल अरोड़ा, युवा कार्यकर्ता जोधपुर नगर द्वारा किया गया।
वेबिनार में कुल पंजीकरण 221 हुए एवं उपस्थित संख्या 125 रही।
वेबिनार में श्री चंद्र प्रकाश अरोड़ा, श्री अशोक खंडेलवाल, सुश्री
प्रांजलि येरिकर, श्री दीपक खैरे, श्री प्रेम रतन सोतावाल,श्री अशोक दानी,
डॉ दिव्या जोशी, डॉ अमित व्यास, श्री तरुण राठी आदि उपस्थित रहे।
धन्यवाद
विश्वा शर्मा
संयोजिका- युवा एक व्यक्तित्व विकास कार्यशाला