Friday, June 29, 2012

Yagna on Guru Purnima

Shimla branch is going to organize a Yagna on the auspicious occasion of Guru Purnima.
All are welcomes to to participate in Yagna.
Vanue : Vivekananda Kendra Shimla Branch, Nabha Estate.


           




Thursday, June 21, 2012

PDC camp in Sonepat, Hariyana

Come and grab the golden opportunity for all round development.
It’s a camp for children from 6th to 10th class which is going to be held in Sonepat on 25th & 26th June at Gayatri Shakti Peeth, Vakson Colony. Near Sujaan Singh Park ,Model Town. Sonepat (Haryana) .


Activities

  • Yogasan
  • Pranayam
  • Meditation
  • Art & Craft
  • Creative Games
(Improving concentration & memory enhancement)


  • Group Discussions
  • Vaidik Mantra
  • Emerging life skills
(Confidence building, removing stage  fear, leadership qualities)

  • Exhibition for expressing talent


Contribution- 100 Rs/-                                         Timings: 10 am – 6 pm.

Note:
You are requested to have breakfast half an hour before coming. Bring your lunch with you. Parents are responsible for pick and drop of their kids.

For further details contact us on
Shri Radhakrishna Ji- 09315406037, Su. Ankita- 09812127815

 

शक्ति ही संवर्धिनी

Samvardhini 20 June 2012भोपाल, 20 जून। विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता भिड़े ने आज यहाँ कहा है कि स्त्री परिवार समाज और राष्ट्र की मुख्य धुरी होती है, उसके बिना विकास की कल्पना ही निरर्थक है। माँ के रूप में वह बालक को जो संस्कार देती है उन्हीं से बालक महान, तेजस्वी और युगनिर्माता बनते है।
सुश्री निवेवेदिता जी आज यहाँ स्वामी विवेकानन्द सार्ध-शती समारोह के प्रांतीय कार्यालय में नगर की महिलाओं को संबोधित किया। उन्होने कहा कि सार्ध-शती समारोह की शृंखला में एक आयाम ‘संवर्धिनी’ का है जिसमें भारतीय नारी की विधायी शक्ति का उपयोग“भारत जागो : विश्व जगाओ” धेय की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि नारी स्वातंत्र्य अथवा अपने अधिकारों की माँग आदि जैसे नारे पश्चिमी सोच का परिणाम है जिसके नकारात्मक परिणाम यूरोप और अमेरिका आज भी भुगत रहा है। वहीं भारतीय सोच इस दिशा में सदैव सकारात्मक रहा है, भारत में स्त्री को माँ, बहन, भार्या और पुत्री जैसा श्रद्धेय स्थान दिया गया है। हमारे यहाँ प्रारम्भिक काल में महिलाएँ पुरुष से कन्धे से कन्धा मिला कर समाज के उन्नयन के लिए कार्य करतीं थीं। वे शास्त्रज्ञ, दार्शनिक और गुरु जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाहन करतीं थीं परंतु बीच के काल में विदेशी सांस्कृतिक हमलों के कारण वह मात्र भोग्या बन कर रह गई। पर अब समय आ गया है कि उसे उसका खोया दर्जा व सम्मान पुन: प्राप्त करना है। इसके लिए महिलाओं को स्वयं सक्षम व समर्थ बनना होगा।
सुश्री निवेदिता दीदी ने कहा कि महिलाओं को देखने की दृष्टि में जब तक योग्य और उचित परिवर्तन नहीं होगा तब तक समाज और राष्ट्र का कल्याण की संकल्पना ही निरर्थक है। उन्होने कहा कि भारत के मौलिक विचार एकात्म की अवधारणा पर केंद्रित है जिसे अब विज्ञान भी स्वीकारने लगा है। व्यक्ति – परिवार – समाज - राष्ट्र - श्रष्टि के बीच परस्पर निर्भरता, पूरकता और सम्बद्धता जिस स्वाभाविक प्रक्रिया से स्थापित है उसका अन्य कोई विकल्प संभव ही नहीं है। उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की सार्ध-शती संपूर्ण मानवता के लिये एक अपूर्व अवसर है और यह अवसर भारत ही उसे प्रदान करने वाला है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती उषा चतुर्वेदी ने कहा कि विचार के सकारात्मक परिवर्तन से ही वांछित परिणाम लाये जा सकते हैं। उन्होने कहा कि स्वामी जी स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे और उनके विचारों और संकल्प को हमें घर-घर तक पहुँचने की आवश्यकता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक के निर्वृत्तमान सरसंघ चालक श्री के. सी. सुदर्शन भी मौजूद थे।

Tuesday, June 19, 2012

VISHWABHANU - Bimonthly Bulletin of VKVVF : April'12 & May'12

VISHWABHANU  - Bimonthly Bulletin of Vivekananda Kendra Vedic Vision Foundation is released today covering the month April and May 2012.
Vishwa Bhanu 6-1

विवेक विचार : भारत जागो! विश्व जगाओ!!

Vivek Vichar 17 Juneविवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता भिड़े ने कहा है कि पश्चिम केंद्रित सभ्यता के कारण व्यक्ति भोगवाद और अनैतिकता की ओर अग्रसर हो रहा है, जिसके कारण वहाँ के समाज और व्यक्तियों में अपूर्णता, अतृप्ति,निराशा  तथा विघटन की भावना भर गई है। इस स्थिति से उसे भारत ही उबार सकता है।
सुश्री निवेदिता आज यहाँ विवेकानन्द केंद्र शाखा भोपाल द्वारा आयोजित वैचारिक जागरण श्रंखला “विवेक विचार”, कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होने “ भारत जागो : विश्व जगाओ “ के ध्येय वाक्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि, स्वामी जी की सार्ध-शती के अवसर पर हमें निराश और पतनोन्मुखी विश्व को ऐसा ध्येय मार्ग दिखाना है जो संपूर्ण मानवता को एक डोर में बांध सके और यह भारत ही कर सकता है, पर यह तब ही संभव है जब हम स्वयं जागरूक और समर्थ होंगे।
उन्होने कहा कि, भारत के ऋषि-मुनियों ने पंथ और आस्था से ऊपर उठ कर मानवता को एक जीवन दृष्टि दी है, जिसके अनुसार आध्यात्म केवल धार्मिक कृति ही नहीं है बल्कि वह व्यवहार है जिसके कारण संपूर्ण विश्व में एकात्म भाव परिभाषित होता है। अब आज का विज्ञान भी यह स्वीकार करने लगा है कि संपूर्ण विश्व परस्पर पूरक, परस्पर निर्भर होकर एक दूसरे से इतना सम्बद्ध है कि उसे एकाकी दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। आज विश्व के किसी भी क्षेत्र में घटी घटना संपूर्ण विश्व को प्रभावित किए बिना नहीं रह सकती।
उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में अनेक क्रांतिकारी और कार्यकर्ता तैयार हुये जिसके कारण भारत उठ खड़ा हुआ, और हमें आज़ादी का सुख प्राप्त हुआ ,फिर उनकी जन्म शताब्दी के समय कन्याकुमारी में शिला स्मारक का निर्माण चीनी आक्रमण से व्याप्त निराशा को दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ। अब उनकी 150वीं जन्म शताब्दी भारत को अपनी आंतरिक दुर्बलता दूर कर भारतीय एकात्म विचार को विश्व स्तर पर स्थापित करने में सहायक बनेगी। इसके लिये समाज में तेजस्विता और राष्ट्रभक्ति की भावना भरनी होगी और बड़ी संख्या में ऐसे युवक तैयार करने होंगे जो त्याग और संकल्प की भावना से समाज में परिवर्तन कि इस धारा को तेजी से प्रवाहित कर सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी विवेकानन्द सार्ध-शती समारोह समिति, मध्य भारत के संयोजक श्री सोमकांत उमालकर ने की और उन्होने समारोह की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुये सभी का आहवान किया कि वे इस पवित्र कार्य में सहभागी बनें। अंत में नगर संचालक श्री बृज किशोर सांघी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालक श्री मृत्युंजय भार्गव ने किया।

Friday, June 15, 2012

Vimarsha on ‘Scientific Dating of the Ancient Events from 2000 to 7000 B.C.’

Vimarsha on ‘Scientific Dating of the Ancient Events from 2000 to 7000 B.C.’ by Saroj Bala Member Board for Industrial and Financial Reconstruction, Ministry of Finance - Govt of India & Director - Institute of Scientific Research on Vedas

live broadcast at : http://www.vifindia.org/live


Venue : VIF Auditorium, 3, San Martin Marg, Chanakyapuri, New Delhi (IN).

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अखिल भारतीय संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर

कन्याकुमारी । भारतमाता के प्रति अगाध प्रेम को संस्कार वर्ग के माध्यम से प्रगट करने वाले विवेकानन्द केन्द्र के बाल-तरूण कार्यकर्ताओं का शिविर हाल ही में दिनांक २३ से २९ मई को सम्पन्न हुआ । इस अखिल भारतीय संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर में ६४ भाई तथा ५२ बहनें, इस प्रकार कुल ११६ शिविरार्थी देश के विभिन्न राज्यों से सहभागी हुए ।
आगामी वर्ष में स्वामी विवेकानन्द की १५०वीं जयन्ती को ध्यान में रखते हुए इस शिविर का थीम "सदा विवेकानन्दमयम्" रखा गया । इस शिविर में बहनों तथा भाइयों के दो मंडल बनाये गये थे । बहनों के मंडल का नाम "भारतमाता" मंडल तथा भाइयों के मंडल का नाम "रामकृष्ण मंडल" रखा गया । स्वामी विवेकानन्द का भारतमाता के प्रति अद्वितीय प्रेम था, साथ ही देवी के तीन रूप - भवतारिणी माँ काली, माँ क्षीर भवानी तथा देवी कन्याकुमारी के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा थी । इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतमाता मंडल में तीन गणों के नाम क्रमश: माँ भवतारिणी, माँ क्षीर भवानी तथा देवी कन्याकुमारी रखा गया । इस क्रम में भाइयों के रामकृष्ण मंडल में भी तीन गण बनाए गये, स्वामी विवेकानन्द, नरेन्द्रनाथ तथा वीरेश्वर, ये तीनों गण स्वामीजी के नाम पर आधारित थे ।
शिविर का औपचारिक उद्घाटन का कार्यक्रम विवेकानन्दपुरम् स्थित विवेकानन्द मंडपम् में दिनांक २३ मई २०१२ को प्रात: ६:०० बजे सम्पन्न हुआ । इस उद्घाटन समारम्भ में शिविरार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए विवेकानन्द केन्द्र के अखिल भारतीय महासचिव मा. भानुदासजी धाक्रस ने कन्याकुमारी स्थल की महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी विवेकानन्द की भारतभक्ति से सबको परिचित कराया ।  इसके पूर्व २२ मई को शिविर के शिविर प्रमुख श्री रवि नायडु ने शिविर की प्रस्तावना दी, जिसमें विवेकानन्द केन्द्र के अखिल भारतीय संयुक्त महासचिव मा. रेखा दीदी बतौर शिविर अधिकारी  के रूप में उपस्थित थे । शिविर में कुल ७ व्याखान हुए, जिसके विषय एवं वक्ता इस प्रकार हैं -

(१) भारतमाता जगद्गुरु : श्री विश्वास लपालकर (महाराष्ट्र प्रान्त संगठक)
(२) स्वामी विवेकानन्द - हमारे प्रेरणास्रोत : मा. हनुमन्तरावजी (अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष)
(३) वैज्ञानिक दृष्टि : मा. निवेदिता दीदी (अखिल भारतीय उपाध्यक्षा)
(४) माननीय एकनाथजी : मा. रेखा दीदी (अखिल भारतीय संयुक्त महासचिव)
(५) संगठित कार्य की आवश्यकता : सुश्री मीरा कुलकर्णी (असम प्रान्त संगठक)
(६) धर्म : मा. निवेदिता दीदी
(७) कार्यकर्ता : श्री रवि नायडू (उडिसा प्रान्त संगठक)
व्याख्यान के पश्चात प्रतिदिन मंथन सत्र में संस्कार वर्गों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक योजनाओं पर गणश: विमर्श होता था । संस्कार वर्ग क्यों और कैसे ?, संस्कार वर्ग में संख्यात्मक एवं गुणात्मक वृद्धि, संस्कार वर्ग की रचना, संस्कार वर्ग का सम्पर्क तन्त्र, कार्यकर्ता का विकास तथा कार्यकर्ता भाव का विकास, इन विषयों पर मंथन हुआ । इसी प्रकार संस्कार वर्ग के वर्गशिक्षकों में आवश्यक निपुणता को सहज, सुगम बनाने की दृष्टि से दोपहर के सत्र में प्रतिदिन "नैपुण्य वर्ग" का आयोजन किया गया । जिसका विषय क्रमश: कहानी, खेल, गीत, प्रार्थना का अनुशासन, सामूहिक सूर्यनमस्कार तथा विवेक वाणी रखा गया ।
सूर्यनमस्कार, आज्ञाभ्यास, मैदानी खेल, ओजस्वी गीत, प्रेरक प्रसंग तथा जयघोष का सामूहिक दर्शन प्रतिदिन शाम को संस्कार वर्ग में होता था । भजन संध्या के बाद रात्रि में प्रेरणा से पुनरुत्थान में प्रतिदिन प्रेरक व्हिडियों क्लिपींग चलचित्र के माध्यम से दिखाया गया ।
इसी सत्र में श्री लखेश चंद्रवन्शी (नागपुर) ने "परिव्राजक संन्यासी स्वामी विवेकानन्द" के भारत भ्रमण की कथा यात्रा की श्रृंखला को प्रतिदिन प्रसंगरूप में प्रस्तुत किया । संस्कार वर्ग को प्रभावी बनाने के लिए समस्त कौशलों एवं योजनाओं पर सामूहिक चिन्तन एवं प्रशिक्षण का यह अखिल भारतीय आयोजन था । विवेकानन्द केन्द्र के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष मा. बालकृष्णनजी ने शिविर समापन के आहुति सत्र में दैवीय गुणों का संवर्धन कर भारतमाता को जगद्गुरु बनाने के लिए अपने हृदय को "सदा विवेकानन्दमयम्" के भाव से प्रज्वलित रखने की प्रेरणा दी । इस शिविर में सभी शिविरार्थियों ने १०८ सूर्यनमस्कार की आहुति देकर स्वामी विवेकानन्द को नमन किया । २९ मई को विवेकानन्द शिलास्मारक का शिविरार्थियों ने दर्शन किया । अपने-अपने नगर स्थानों को संस्कार वर्ग के माध्यम से "सदा विवेकानन्दमयम्" करने का सभी शिविरार्थियों ने संकल्प लिया । 

VKNARDEP : Newsletter May 2012

Green Fire in a Wolf's Eyes and Deep Ecology  


This is a short preview of what you get in this month newsletter 

Deep ecology is not just theory and understanding of an analytical science. It is based on a deeper and holistic experience. What do the green fire in a dying wolf's eye and the voice of a mountain tell an ecologist? Read how an unitary experience becomes the basis of for the transformation of a conventional ecologist into a deep ecologist. In this newsletter we present an excerpt from a lecture by Stephen Harding on 'Deep Ecology'. Also this month we pay homage to great science fiction writer Ray Bradbury whose science fictions always carried words of caution against destructive self-alienation of human being in a technology dominated future.
This month we had a variety of networking events including two camps for children for inculcating 'scientific temper'. Students immensely enjoyed the groups activities in proximity with nature and sessions on science in every day living. On the occassion the students were also given a manual for inculcating scientific temper in the young minds. You can also read about this publication in our publications section of this newsletter. We also had a workshop on traditional bone setting techniques which was attended by a large number of medicial professionals, traditional physicians and Siddha medical students. We also had panchayat members from Maharashtra who went through technology awareness camps for eco-village concept to be implemented by Maharashtra government.
In the session on wisdom we have three savants: Elisabet Sahtouris a Systems biologists provides a comparison between the emerging systems view of life and how it resonates with ancient wisdom traditions. Sri Aurobindo shows the inner evolution at work in the dynamic canvass of nature. Then nature photographer and theosophist John Van Mater shows how evolution takes life and intelligence to the next plane.
You can download our newsletter and read it all by clicking here

 

Free Homoeopathic Medical Camp at Shimla

VK, Shimla branch organised a free Homoeopathic medical camp in its premises on 20/5/12 Sunday with sponsorship from Prof. S.R.Mehrotra, Retd. Professor in History, H.P.University, Shimla. Dr. Poonam Sood, D.H.M.S. from Rammandir Market treated the patients. About 43 patients got benefit from this camp. All the patients were given free medicine also.

VKVS in Arunachal Pradesh :May 2012

Acharya Prashikshan Shibir:
14th APS was conducted at the Kendra Head Quarters, Kanyakumari. 118 teachers participated in the 25 days Shibir. The state wise details of the participants are given below.
 Sl.No  State Sisters Brothers
1 Arunachal Pradesh 25 32
2 Assam 27 16
3 Andaman & Nicobar 14 1
4 Karnataka 1 2

Total 67 51


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It was an enriching experience for the organising committee members. The enthusiasm and eagerness to learn shown by the participants are exemplary. Km. Nivedita Didi, Vice President, VK, took a series of classes on Bharatiya Sanskriti. So also Shri.P.M. Unnikrishnan, EO, on Micro Teaching and Guidance and Counselling. Dr.N.Gopalakrishnanji, Mananeeya Bhanudasji, Shri. Satishji, Shri. Deepak Khaire and Shri.Hanumanta Raoji took sessions on various themes to enrich the Participants. The enthusiasm shown by the participants loudly proclaimed that teachingis a passion and a calling for them.  Words fail to appreciate the work of Shri. Madhubal, Teacher VKV- Oyan, Shri. Omanakuttan, Principal – VKV Bana, Shri. Kamalakant, Regional Administrative Officer VKSPV, who have volunteered to become the members of organising committee to make the Shibhir successful.

Workshop for Mess In charges and Cooks:


With a view of improving the quality of our students’ Mess, we could conduct a two days’ workshop at VKV- Oyan on 26th and 27th of May.  Shri. Krishna Kumar, Cluster in charge of Lohit and Tirap clusters, Jayshree Didi, Vanaprasthi Karyakarta, Dr. Manumat Chai were the resource persons who couldfocus on the aspects of  Mess administration & Accounting, Nutritious aspect of cooking, Different recipes for students’ mess, cleanliness, Guest Care, economic usage of fuels and maintenance of various gadgets, etiquettes in students’ mess. It was nice to see that Senior Bhayyas like KambuTisso, Govind Swamy, Parashuram Magar guiding the junior bhaiyyas like Ram Singh, Putul Hazarika  and so on it give an assurance that the legacy of selfless work is being passed on to new generation and the holy work would go on and on.
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VKV- Nirjuli consecrated:


It was a great moment for our Well-wishers, 1400 students of VKV Nirjuli and their parents as the Vastupooja of VKV- Nirjuli conducted on 30th May in a small but befitting ceremony. Hon’ble Minister Education, Shri. Bosiram Siram, Revered Partha Maharaj of RK Mission hospital, Itanagar, Dr. Joram Begi, Pranta Pramukh of Vivekananda Kendra, Dr.Tejum Padu, Trustee VKVAPT, Sri.Rupesh Mathur, Pranta Sanghathak were present for the programme. The formal inauguration of the building will be done later. It is pleasant experience to walk on the corridors three storeyed building which can accommodate more than 1500 students. While walking on the corridors I was gratefully remembering the persons worked day and night to erect such structure to contribute their share to impart quality education. The names of generous donors like Smt.Vimalatai Ghanekar, Sudhamurthy, Rangutai Padhye, and many more came to my mind. The great work of collecting resources by our elders, Asnikar kaka of VK Pune, etc flashed through many of our mind.

विवेकानन्द केन्द्र द्वारा व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन

residencial pdc samapan programmeविवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा नागपुर की ओर से नागपुर से 65 किमी पर स्थित स्वामी विवेकानन्द विद्यालय (देवालापार) सुरम्य परिसर में दिनांक 5 से 9 जून 2012 की अवधि में विद्यालयीन छात्र-छात्राओं के लिये व्यक्तित्व विकास शिविर (निवासी) किया गया | इसमें 70 शिविरार्थियों ने भाग लिया। इस चार दिवसीय निवासी व्यक्तित्व विकास शिविर में बच्चों के बौद्धिक विकास के लिये भारत जागो-विश्व जगाओ, स्वामी विवेकानन्द की भारत भक्ति, ऐसे बनें हम भी, संस्कार वर्ग क्यों और कैसे ? इन विषयों पर श्री लखेशजी, सुश्री प्रियंवदाताई पांडे, सौ. क्षमाताई दाभोड़कर, डॉ. श्री मोरेश्वरजी इन विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। मंथन में शिविरार्थियों ने भारत का भारत से परिचय, हमारी भारतभक्ति, मैं नहीं हम आदि विषय पर शिविरार्थियों ने विमर्श किया। सृजन सत्र में शिविरार्थियों ने वारली पेंटिग और अभिनय कला सीखी। शिविरार्थियों के शारीरिक विकास हेतु योगाभ्यास, श्रमसंस्कार और विविध प्रकार के खेल लिये गये। भावनात्मक और अध्यात्मिक विकास के लिये भजन संध्या, गीत सत्र ली गई जिसमें शिविरार्थियों नें अनेक भजन और देशभक्ति गीत भी सीखे। रात्रिकालीन सत्र में प्रेरणा से पुनरूत्थान के अंतर्गत शिविरार्थियों ने कृतिगीत सीखे, विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक श्री एकनाथजी रानडे के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का भी कहानी के माध्यम से शिविरार्थियों ने आनंद लिया | प्रेरणादायी विडियो क्लिपिंग के साथ ही हनुमान चालिसा का नियमित पठन का भी इसमें समावेश था |
इस शिविर का समापन दिनांक 9 जून 2012 को शिवाजी नगर नागरिक मंडल हॉल, शिवाजी नगर, नागपुर में हुआ | शिविर के समापन में शिविरार्थियों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया । शिविर की शुरूवात 3 ओमकार प्रार्थना से हुई । बच्चों ने अपने अनुभव कथन किया | संगठित होकर कार्य करना, अनुशासन, आज्ञापालन, राष्ट्रभक्ति, सृजनशीलता तथा संभाषण कला के गुण शिविरार्थियों को सिखने को मिली। इस कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र के जीवनव्रती कार्यकर्ता तथा महाराष्ट्र प्रान्त संगठक श्री विश्वासजी लापलकर ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि इस शिविर के माध्यम से बच्चों को अनेक अच्छी आदतें लगी है और उन आदतों का संवर्धन करना तथा समाज सेवा के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है | बच्चों को अपने कार्य स्वयं करने दें । वे अपने जीवन में आदर्श का पालन करेंगे तो यह समाज भी आदर्श बनेगा। स्वामीजी के संदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति इस समाज का अभिन्न अंग है और उसमें अनेक क्षमताएँ

होती हैं, वह अपने आप में अद्वितीय है। उन्होनें कहा कि हमारा समाज सोया हुआ है और स्वामी विवेकानन्दजी के विचारों को घर-घर पहुँचाकर इस समाज को हमें जगाना है तभी भारत विश्वगुरू के पद को प्राप्त कर पाएगा। स्वामी विवेकानन्द की 150 t;arh अर्थात सार्ध शती समारोह 2013-2014 में विश्वभर बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी | इसी अवसर पर उपस्थितों को आह्वान किया कि वे समय का दान देकर या आर्थिक सहायता प्रदान कर इस राष्ट्रयज्ञ में अपना भूमिका निभाएं | इस कार्यक्रम में 225 लोग उपस्थित थे।

Thursday, June 7, 2012

Interaction with Mr. Jason Isaacson & Ms. Patty Friedman Marcus

Interaction with Mr. Jason Isaacson, Director of Govt & International Affairs, American Jewish Committee & Ms. Patty Friedman Marcus, Director of the Asia Pacific Institute, American Jewish Committee.
(By invitation only)
Venue : VIF Conference Room, 3, San Martin Marg, Chanakyapuri, New Delhi (IN).
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Interaction with H.E. Peter Varghese AO

Interaction with H.E. Peter Varghese AO, High Commissioner of Australia to India on ' Australia and India in the Asian Century'.

(By invitation only)
Venue : VIF Conference Room, 3, San Martin Marg, Chanakyapuri, New Delhi (IN).

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