इस शिविर का समापन दिनांक 9 जून 2012 को शिवाजी नगर नागरिक मंडल हॉल, शिवाजी नगर, नागपुर में हुआ | शिविर के समापन में शिविरार्थियों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया । शिविर की शुरूवात 3 ओमकार प्रार्थना से हुई । बच्चों ने अपने अनुभव कथन किया | संगठित होकर कार्य करना, अनुशासन, आज्ञापालन, राष्ट्रभक्ति, सृजनशीलता तथा संभाषण कला के गुण शिविरार्थियों को सिखने को मिली। इस कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र के जीवनव्रती कार्यकर्ता तथा महाराष्ट्र प्रान्त संगठक श्री विश्वासजी लापलकर ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि इस शिविर के माध्यम से बच्चों को अनेक अच्छी आदतें लगी है और उन आदतों का संवर्धन करना तथा समाज सेवा के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है | बच्चों को अपने कार्य स्वयं करने दें । वे अपने जीवन में आदर्श का पालन करेंगे तो यह समाज भी आदर्श बनेगा। स्वामीजी के संदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति इस समाज का अभिन्न अंग है और उसमें अनेक क्षमताएँ
होती हैं, वह अपने आप में अद्वितीय है। उन्होनें कहा कि हमारा समाज सोया हुआ है और स्वामी विवेकानन्दजी के विचारों को घर-घर पहुँचाकर इस समाज को हमें जगाना है तभी भारत विश्वगुरू के पद को प्राप्त कर पाएगा। स्वामी विवेकानन्द की 150 t;arh अर्थात सार्ध शती समारोह 2013-2014 में विश्वभर बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी | इसी अवसर पर उपस्थितों को आह्वान किया कि वे समय का दान देकर या आर्थिक सहायता प्रदान कर इस राष्ट्रयज्ञ में अपना भूमिका निभाएं | इस कार्यक्रम में 225 लोग उपस्थित थे।
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