विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता भिड़े ने कहा है कि पश्चिम केंद्रित सभ्यता के कारण व्यक्ति भोगवाद और अनैतिकता की ओर अग्रसर हो रहा है, जिसके कारण वहाँ के समाज और व्यक्तियों में अपूर्णता, अतृप्ति,निराशा तथा विघटन की भावना भर गई है। इस स्थिति से उसे भारत ही उबार सकता है।
सुश्री निवेदिता आज यहाँ विवेकानन्द केंद्र शाखा भोपाल द्वारा आयोजित वैचारिक जागरण श्रंखला “विवेक विचार”, कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होने “ भारत जागो : विश्व जगाओ “ के ध्येय वाक्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि, स्वामी जी की सार्ध-शती के अवसर पर हमें निराश और पतनोन्मुखी विश्व को ऐसा ध्येय मार्ग दिखाना है जो संपूर्ण मानवता को एक डोर में बांध सके और यह भारत ही कर सकता है, पर यह तब ही संभव है जब हम स्वयं जागरूक और समर्थ होंगे।
उन्होने कहा कि, भारत के ऋषि-मुनियों ने पंथ और आस्था से ऊपर उठ कर मानवता को एक जीवन दृष्टि दी है, जिसके अनुसार आध्यात्म केवल धार्मिक कृति ही नहीं है बल्कि वह व्यवहार है जिसके कारण संपूर्ण विश्व में एकात्म भाव परिभाषित होता है। अब आज का विज्ञान भी यह स्वीकार करने लगा है कि संपूर्ण विश्व परस्पर पूरक, परस्पर निर्भर होकर एक दूसरे से इतना सम्बद्ध है कि उसे एकाकी दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। आज विश्व के किसी भी क्षेत्र में घटी घटना संपूर्ण विश्व को प्रभावित किए बिना नहीं रह सकती।
उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में अनेक क्रांतिकारी और कार्यकर्ता तैयार हुये जिसके कारण भारत उठ खड़ा हुआ, और हमें आज़ादी का सुख प्राप्त हुआ ,फिर उनकी जन्म शताब्दी के समय कन्याकुमारी में शिला स्मारक का निर्माण चीनी आक्रमण से व्याप्त निराशा को दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ। अब उनकी 150वीं जन्म शताब्दी भारत को अपनी आंतरिक दुर्बलता दूर कर भारतीय एकात्म विचार को विश्व स्तर पर स्थापित करने में सहायक बनेगी। इसके लिये समाज में तेजस्विता और राष्ट्रभक्ति की भावना भरनी होगी और बड़ी संख्या में ऐसे युवक तैयार करने होंगे जो त्याग और संकल्प की भावना से समाज में परिवर्तन कि इस धारा को तेजी से प्रवाहित कर सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी विवेकानन्द सार्ध-शती समारोह समिति, मध्य भारत के संयोजक श्री सोमकांत उमालकर ने की और उन्होने समारोह की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुये सभी का आहवान किया कि वे इस पवित्र कार्य में सहभागी बनें। अंत में नगर संचालक श्री बृज किशोर सांघी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालक श्री मृत्युंजय भार्गव ने किया।
सुश्री निवेदिता आज यहाँ विवेकानन्द केंद्र शाखा भोपाल द्वारा आयोजित वैचारिक जागरण श्रंखला “विवेक विचार”, कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होने “ भारत जागो : विश्व जगाओ “ के ध्येय वाक्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि, स्वामी जी की सार्ध-शती के अवसर पर हमें निराश और पतनोन्मुखी विश्व को ऐसा ध्येय मार्ग दिखाना है जो संपूर्ण मानवता को एक डोर में बांध सके और यह भारत ही कर सकता है, पर यह तब ही संभव है जब हम स्वयं जागरूक और समर्थ होंगे।
उन्होने कहा कि, भारत के ऋषि-मुनियों ने पंथ और आस्था से ऊपर उठ कर मानवता को एक जीवन दृष्टि दी है, जिसके अनुसार आध्यात्म केवल धार्मिक कृति ही नहीं है बल्कि वह व्यवहार है जिसके कारण संपूर्ण विश्व में एकात्म भाव परिभाषित होता है। अब आज का विज्ञान भी यह स्वीकार करने लगा है कि संपूर्ण विश्व परस्पर पूरक, परस्पर निर्भर होकर एक दूसरे से इतना सम्बद्ध है कि उसे एकाकी दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। आज विश्व के किसी भी क्षेत्र में घटी घटना संपूर्ण विश्व को प्रभावित किए बिना नहीं रह सकती।
उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में अनेक क्रांतिकारी और कार्यकर्ता तैयार हुये जिसके कारण भारत उठ खड़ा हुआ, और हमें आज़ादी का सुख प्राप्त हुआ ,फिर उनकी जन्म शताब्दी के समय कन्याकुमारी में शिला स्मारक का निर्माण चीनी आक्रमण से व्याप्त निराशा को दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ। अब उनकी 150वीं जन्म शताब्दी भारत को अपनी आंतरिक दुर्बलता दूर कर भारतीय एकात्म विचार को विश्व स्तर पर स्थापित करने में सहायक बनेगी। इसके लिये समाज में तेजस्विता और राष्ट्रभक्ति की भावना भरनी होगी और बड़ी संख्या में ऐसे युवक तैयार करने होंगे जो त्याग और संकल्प की भावना से समाज में परिवर्तन कि इस धारा को तेजी से प्रवाहित कर सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी विवेकानन्द सार्ध-शती समारोह समिति, मध्य भारत के संयोजक श्री सोमकांत उमालकर ने की और उन्होने समारोह की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुये सभी का आहवान किया कि वे इस पवित्र कार्य में सहभागी बनें। अंत में नगर संचालक श्री बृज किशोर सांघी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालक श्री मृत्युंजय भार्गव ने किया।
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