विश्व बन्धुत्व दिवस समारोह में कन्याकुमारी केन्द्र की राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव का सम्बोधन
जोधपुर 11 सितम्बर। विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुश्री रेखा दवे ने युवा पीढ़ी से देश सेवा में योगदान का आव्हान करते हुए कहा है कि कोई कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता, हर कार्य समर्पण भाव से करना चाहिए। विवेकानन्द केन्द्र की जोधपुर शाखा द्वारा आज स्थानीय गीता भवन में आयोजित विश्व बन्धुत्व दिवस समारोह की अध्यक्षता कर रहीं सुश्री रेखा दवे ने कहा कि एक समय था जब यह कहा जाता था कि पढ़ोगे नहीं तो किसान बनोगे। लोग किसानी के कार्य को छोटा मानते थे। आज भी पढ़े-लिखे और पैसे वालों को ही बड़ा आदमी माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अभी भी पढ़-लिख कर लोग डाक्टर, इंजीनियर, आईएएस बनना चाहते हैं, पर सब व्यक्ति डाक्टर-इंजीनियर नहीं हो सकते। उन्होंने आव्हान किया कि जिसे जो बनना है वह बने, पर उन पर हमारे विचार थोपे नहीं जाएं। स्वामी विवेकानन्द को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारत आगे बढ़ेगा यह हमारा ही नहीं हम सब का स्वप्न है। उन्होंने बताया एक समय था जब अरूणचल प्रदेश में कार्यकर्ताओं को विषम परिस्थितियों में कार्य करना पड़ा। आज वहां विवेकानन्द केन्द्र के 36 विद्यालय संचालित हो रहे हैं। तमिलनाडु, केरल के साथ ही अंडमान निकोबार दीप समूह और कई अन्य राज्यों तक अब केन्द्र का विस्तार हो गया है।
कन्या कुमारी में स्वामी विवेकानन्द के शिला स्मारक के निर्माण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस निर्माण के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ ही आमजन ने भी समर्पण भाव से सहयोग किया और इस कार्य को एकनाथजी ने साकार रूप दिया। स्मारक का कार्य पूरा होने पर विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना की गई। इस केन्द्र के माध्यम से देश सेवा के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता है। जीवनवृत्ति कार्यकर्ताओं के साथ ही देश कार्य में स्थानीय कार्यकर्ताओं का भी महत्व है। उन्होंने कहा केन्द्र के कार्यकर्ता सन्यासी नहीं हैं लेकिन वे देश के लिए सन्यासियों जैसा ही कार्य कर रहे हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं के माध्यम से इस कार्य को और आगे ले जाना
समारोह के मुख्य अतिथि एवं देश के सुप्रसिद्ध इसरो संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो0 ओ0पी0एन0 कल्ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि विज्ञान की अंतिम परिणिति अध्यात्म है। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका मंे आयोजित धर्म सभा में भारत को इसी अध्यात्म के बल पर गौरवशाली स्थान दिलाया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी के पहले दो शब्द बहनो-भाईयो ने पूरी सभा को ऐसा सम्मोहित किया कि उसके बाद लोग उनके हर भाषण को सुनना चाहते थे। उन्होंने वहां अलग-अलग सत्रों में सभा को आधादर्जन बार सम्बोधित किया और हर सम्बोधन मंे उन्होंने भारतीय संस्कृति को अलग-अलग स्वरूप में प्रस्तुत किया, जिसकी काफी प्रशंसा हुई। धर्म सभा के आयोजन का उद्देश्य ईसाई धर्म को श्रेष्ठ और अन्य धर्मों को निम्न साबित करने का था, लेकिन विवेकानन्दजी ने वहां भारत की श्रेष्ठता साबित कर धर्म के संकीर्ण दायरे से बाहर आने का भी आव्हान किया।
समारोह में उपस्थित केन्द्रीय जांच ब्यूरो -सीबीआई- के पूर्व पुलिस उप महानिदेशक अतुल कुमार माथुर ने अपने सम्बोधन में कहा कि विवेकानन्द के उद्देष्यों को युवा अपने जीवन में उतारें। उन्होंने कहा कि जब वे जोधपुर में पुलिस अधीक्षक के पद पर थे तब युवाओं के लिए काफी कार्य किया, उसे भी आगे ले जाने की जरूरत है।
प्रारंभ में अतिथियों द्वारा स्वामी विवेकानन्द और भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। विवेकानन्द केन्द्र की जोधपुर शाखा के नगर संचालक महेन्द्र लोढ़ा ने अपने स्वागत भाषण में केन्द्र की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए युवाओं को केन्द्र से जुड़ने का आव्हान किया। इस से पूर्व मंच पर आसीन मुख्य अतिथि प्रो0 ओ0पी0एन0 कल्ला का चन्द्रप्रकाश अरोड़ा, कार्यक्रम की अध्क्षता कर रही सुश्री रेखा दवे का श्रीमती कौशल्या माहेश्वरी, सहप्रांत संचालक भवानीलाल माथुर का प्रेमरतन प्रजापत तथा नगर संचालक महेन्द्र लोढा का मोहनलाल तंवर ने श्रीफल व स्मृति स्वरूप केन्द्र का साहित्य भेंट कर स्वागत किया। केन्द्र के कार्यकर्ता मनोज भादू ने शांति मंत्र का पाठ किया। अंत में सहप्रांत संचालक भवानीलाल माथुर ने आभार प्रकट किया। शांतिपाठ के साथ समारोह का समापन हुआ।
जोधपुर 11 सितम्बर। विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुश्री रेखा दवे ने युवा पीढ़ी से देश सेवा में योगदान का आव्हान करते हुए कहा है कि कोई कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता, हर कार्य समर्पण भाव से करना चाहिए। विवेकानन्द केन्द्र की जोधपुर शाखा द्वारा आज स्थानीय गीता भवन में आयोजित विश्व बन्धुत्व दिवस समारोह की अध्यक्षता कर रहीं सुश्री रेखा दवे ने कहा कि एक समय था जब यह कहा जाता था कि पढ़ोगे नहीं तो किसान बनोगे। लोग किसानी के कार्य को छोटा मानते थे। आज भी पढ़े-लिखे और पैसे वालों को ही बड़ा आदमी माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अभी भी पढ़-लिख कर लोग डाक्टर, इंजीनियर, आईएएस बनना चाहते हैं, पर सब व्यक्ति डाक्टर-इंजीनियर नहीं हो सकते। उन्होंने आव्हान किया कि जिसे जो बनना है वह बने, पर उन पर हमारे विचार थोपे नहीं जाएं। स्वामी विवेकानन्द को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारत आगे बढ़ेगा यह हमारा ही नहीं हम सब का स्वप्न है। उन्होंने बताया एक समय था जब अरूणचल प्रदेश में कार्यकर्ताओं को विषम परिस्थितियों में कार्य करना पड़ा। आज वहां विवेकानन्द केन्द्र के 36 विद्यालय संचालित हो रहे हैं। तमिलनाडु, केरल के साथ ही अंडमान निकोबार दीप समूह और कई अन्य राज्यों तक अब केन्द्र का विस्तार हो गया है।
कन्या कुमारी में स्वामी विवेकानन्द के शिला स्मारक के निर्माण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस निर्माण के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ ही आमजन ने भी समर्पण भाव से सहयोग किया और इस कार्य को एकनाथजी ने साकार रूप दिया। स्मारक का कार्य पूरा होने पर विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना की गई। इस केन्द्र के माध्यम से देश सेवा के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता है। जीवनवृत्ति कार्यकर्ताओं के साथ ही देश कार्य में स्थानीय कार्यकर्ताओं का भी महत्व है। उन्होंने कहा केन्द्र के कार्यकर्ता सन्यासी नहीं हैं लेकिन वे देश के लिए सन्यासियों जैसा ही कार्य कर रहे हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं के माध्यम से इस कार्य को और आगे ले जाना
समारोह के मुख्य अतिथि एवं देश के सुप्रसिद्ध इसरो संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो0 ओ0पी0एन0 कल्ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि विज्ञान की अंतिम परिणिति अध्यात्म है। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका मंे आयोजित धर्म सभा में भारत को इसी अध्यात्म के बल पर गौरवशाली स्थान दिलाया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी के पहले दो शब्द बहनो-भाईयो ने पूरी सभा को ऐसा सम्मोहित किया कि उसके बाद लोग उनके हर भाषण को सुनना चाहते थे। उन्होंने वहां अलग-अलग सत्रों में सभा को आधादर्जन बार सम्बोधित किया और हर सम्बोधन मंे उन्होंने भारतीय संस्कृति को अलग-अलग स्वरूप में प्रस्तुत किया, जिसकी काफी प्रशंसा हुई। धर्म सभा के आयोजन का उद्देश्य ईसाई धर्म को श्रेष्ठ और अन्य धर्मों को निम्न साबित करने का था, लेकिन विवेकानन्दजी ने वहां भारत की श्रेष्ठता साबित कर धर्म के संकीर्ण दायरे से बाहर आने का भी आव्हान किया।
समारोह में उपस्थित केन्द्रीय जांच ब्यूरो -सीबीआई- के पूर्व पुलिस उप महानिदेशक अतुल कुमार माथुर ने अपने सम्बोधन में कहा कि विवेकानन्द के उद्देष्यों को युवा अपने जीवन में उतारें। उन्होंने कहा कि जब वे जोधपुर में पुलिस अधीक्षक के पद पर थे तब युवाओं के लिए काफी कार्य किया, उसे भी आगे ले जाने की जरूरत है।
प्रारंभ में अतिथियों द्वारा स्वामी विवेकानन्द और भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। विवेकानन्द केन्द्र की जोधपुर शाखा के नगर संचालक महेन्द्र लोढ़ा ने अपने स्वागत भाषण में केन्द्र की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए युवाओं को केन्द्र से जुड़ने का आव्हान किया। इस से पूर्व मंच पर आसीन मुख्य अतिथि प्रो0 ओ0पी0एन0 कल्ला का चन्द्रप्रकाश अरोड़ा, कार्यक्रम की अध्क्षता कर रही सुश्री रेखा दवे का श्रीमती कौशल्या माहेश्वरी, सहप्रांत संचालक भवानीलाल माथुर का प्रेमरतन प्रजापत तथा नगर संचालक महेन्द्र लोढा का मोहनलाल तंवर ने श्रीफल व स्मृति स्वरूप केन्द्र का साहित्य भेंट कर स्वागत किया। केन्द्र के कार्यकर्ता मनोज भादू ने शांति मंत्र का पाठ किया। अंत में सहप्रांत संचालक भवानीलाल माथुर ने आभार प्रकट किया। शांतिपाठ के साथ समारोह का समापन हुआ।
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