विवेकानन्द केन्द्र द्वारा गीता जयंती समारोह कमला नेहरू शिशु विहार
,पाटलिपुत्र कॉलोनी में मनाया गया कार्यक्रम का शुभारम्भ तीन ओमकार
प्रार्थना और भजन कृष्ण तुम्हारी गीता से हुआ। कार्यक्रम में विशेष रूप से
कार्यकर्ताओं के परिवार उपस्थित रहे जिसमें सभी ने आदर्श परिवार कैसे बने
पर अपने अपने विचार रखे। सभी ने ये भी जाना गीता की परिवार में कितनी
उपयोगिता है। कार्यक्रम में दैनिक जीवन में गीता का पठन कराया गया उन पदों
के माध्यम से गीता का महत्त्व जाना। मुख्या वक्ता डॉ. शिववंश पाण्डेय ने
गीता को सभी उपनिषदों का सार बताया एवं कर्म योग के बारे में विस्तृत
जानकारी दी। दैनिक जीवन गीता के गायन पर प्रसन्नता प्रगट की और संस्कृत को
देव वाणी बताते हुए भारतीय संस्कृति की महानता पर अपने विचार व्यक्त किये।
आगे उन्होंने बताया की गीता और रामायण दोनों ही शास्त्र भारतीय संस्कृति के
आधार है। यह देश जीवित इसलिए है क्योकि इसकी संस्कृति ने देने ही देने का
कार्य किया किसी पर आक्रमण नहीं किया है।
डॉ. निर्मल कुमार श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सभी को
नित्य गीता पाठ करने की आवश्यकता एव चरित्र निर्माण में गीता की
प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। भारतीय संस्कृति ही हमको बांधे हुए है।
उन्होंने कहा की हमारे अंदर अध्यात्मिकता का विकास होना आवश्यक है।
कार्यक्रम में विवेकानन्द प्रश्नोत्तरी के सहभागियों को प्रमाण पत्र
वितरित किया गया साथ ही नगर के गणमान्य प्रवुद्ध जन भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में ४५ की उपस्थिति रही ।
11.12.2016 को गीता जयंती के कार्यक्रम दो संस्कार वर्गों में किये गए
संस्कार वर्गों में दैनिक जीवन में गीता का पठन कराया गया । गीता की
विद्यार्थी जीवन में क्या उपयोगिता है इस विषय पर डॉ.पंकज कुमार (सह नगर
प्रमुख ) जी द्वारा मार्गदर्शन किया गया। जिसमें कुल उपस्थिति 96 की रही।
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