विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा शिमला के द्वारा गीता जयंती का
कार्यक्रम १० दिसम्बर, शनिवार को अायोजीत किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता
सेवानिवृत पोस्टमास्टर जनरल, हि. प्र. श्री तेजरामजी शर्मा रहें।
कार्यक्रम की शरुअात शांति पाठ से हुई। अतिथी स्वागत एवं कार्यक्रम
प्रस्तावना देते हुए श्री हिम्मत सिंह, कार्यालय प्रमुख ने काहाकि हमारा
राष्ट्रीय ग्रंथ भगवद गीता सिर्फ जीवन के अंतिम दिनो में सुनायेजानेवाला
ग्रंथ नही हैं, परंतु यह जीवन जीने की कला सिखाता है। हमारे अंदर और बहार
जो दिन-प्रतिदिन द्वंद्व चल रहा है उसमें सुचारु रुप से जीवन जीने की काला
गीता सीखाती है। इस कार्यक्रम में ४० व्यक्तीयो की उपस्थिति रही। जिसमें
बच्चें, महिलायें एवं पुरुष उपस्थित रहें। इस अवसर पर श्री कृष्ण और
श्रीमद्भगवत् गीता का महत्व पर अाधारित एक भजन हुअा। उसके बाद श्रीमद्भगवत्
गीता में से, ६१ श्लोको (पुस्तक : दैनिक जीवन में गीता) का एकत्र पठन
हुअा।
श्री तेजराम शर्मा जी ने अपने व्यक्तत्व में राष्ट्रीय ग्रंथ भगवद्गीता
की महत्ता बाताते हुएे कहा की यह श्री कृष्ण-अर्जुन के बीच का संवाद है, जो
उपनिषदो की कक्षा का होने के कारण, श्री अादि शंकराचार्य ने इसे उपनिषद के
साथ रखा है। पूरे श्रीमद्भगवत् गीता का सार कर्म है और पूरे महाभारत का
सार धर्म है। श्री शार्मा ने विषेशरुप से बाताया कि श्रीमद्भगवत् गीता का
अध्ययन छोटी अायु से ही शरु कारना चाहिये। कार्यक्रम के अंत में श्री
हार्दिकजी ने विवेकानन्द केन्द्र कि गतिविधियों, जैसे कि योगवर्ग,
संस्कारवर्ग एवं स्वाध्याय वर्ग के बारे में जानकारी दी और मुख्य अतिथि तथा
उपस्थित समुदाय का धन्यवाद किया। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापान
किया गया। कार्यक्रम के सुचारु संचालन में श्री गोपाल, प्रविण, कुलदिप,
शिवम्, धरमेन्द्र एवं हीरासिंग विषेश सहयोग रहा।
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