११ सितम्बर स्वामी विवेकानंद का विश्व बंधुत्व दिवस (शिकागो व्याख्यान) विवेकानंद केंद्र द्वारा प्रति वर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष विवेकानंद केंद्र के संस्थापक मा. एकनाथजी रानडे इनका १०० वा जन्म दिवस १९ नवम्बर २०१४ से चल रहा है, इस पर्व को केंद्र मा. एकनाथजी जन्म शती पर्व के नाम से मना रहा है। अतः इस अवसर पर विवेकानंद केंद्र इंदौर में युवाओं के बिच महाविद्यालयों में “युवा विमर्श एक वैस्चारिक शृंखला इस कार्यक्रम का उदघाटन किया गया। कार्यक्रम में मा. एकनाथजी के व्याख्यानों का संग्रह Spiritualizing Life इस पुस्तक का विमोचन विवेकानंद केंद्र के मध्य प्रान्त संचालक श्री मनोहर देव व मुख्या अतिथि डॉ मुकेश मोढ, होलकर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. चतुर्वेदीजी, कला व वाणिज्य के प्राचार्य डॉ एस.एल.गर्ग जी के हस्ते किया गया। युवा विमर्श कार्यक्रम के मुख्या वक्ता डॉ मुकेश मोढ जी अपने उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद के विचारों पर प्रकाश डालते हुए निम्नलिखित बाते बतायी
- लक्ष निर्धारित होने से जीवन में सार्थकता का अनुभव होता है,
- लक्ष की स्पष्टता होने से विषम परिस्थिति में विजय प्राप्त की जाती है,
- स्वामी विवेकानंद युग प्रवर्तक थे, उन्होंने १९९१ में घोषण की थी आने वाले ५० वर्षों तक भारत माता ही अपनी आराध्य दैवत है और ठीक ५१ वर्ष बाद भारत स्वतंत्र हुआ,
- कोई भी बड़े कार्य के लिए छोटा मार्ग नहीं होता है,
- महान बनने किए लिए स्वामीजी ने पांच बाते बताई है
- 1. निष्ठा, २.उदयम शक्ति, ३. धैर्य, ४. निश्चय और ५. सातत्य
और फिर तब भारत को कोई नहीं रोग पायेगा।
आज स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात कर अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है और परिवार से यह सहज संभव होता है, दूसरा स्वामी स्वयं युवा थे और उनकी अधिक अपेक्षा युवाओं से थी अतः युवा विमर्श एक वैचारिक शृंखला इस कार्यक्रम के अंतर्गत युवाओं ने जुड़कर राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान देना है। श्री मनोहर देव जी ने विवेकानंद केंद्र का परिचय देकर केंद्र से जुड़कर राष्ट्र की सेवा करने का आवाहन किया। विवेकानंद केंद्र के होलकर महावद्यालय के प्रभारी प्राध्यापक श्री धीरजजी शर्मा ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया। कार्यक्रम में ३५० की संख्या में युवा, प्राध्यापक व नगर के प्रबुद्ध वर्ग उपस्थित थे।
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