विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा रायपुर द्वारा स्थानीय महाराष्ट्र मंडल रायपुर में विश्व बंधुत्व दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्री रूपनारायण सिन्हा ( प्रांत मंत्री, विश्व हिन्दू परिषद् ) विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने अपना भाषण एक उदहारण से प्रारंभ किया, जिसका आशय यही था की हम यहाँ पर उपस्थित क्यूँ हुए है। उन्होंने कहा कि ‘’जिस प्रकार हमारे पूर्वज वृद्ध जन एक लोटा रखते थे और उसे बहुत स्वच्छ रखा करते थे, जिससे कोई भी व्यक्ति उससे पानी पी सके। ठीक उसी प्रकार ऐसे सत्संग है जो हमारे मन को स्वच्छ रखते है और जिसका लाभ दुसरो तक पहुचाया जा सके। उन्होंने अपने भाषण में स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिये गये शिकागो संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि पुरे विश्व को हमारी संस्कृति की विशेषता “बाट कर खाने में आनंद” को लोगों तक पहुचाया। अन्य धर्म जो यही कहते है की इस धर्म के पथ पर चलोगे तो तम्हारा जीवन समर्थ होगा। पर स्वामी विवेकानन्द के अनुसार राम, रहीम किसी को भी मानकर आप जीवन सफल कर सकते है। उन्होंने पुरे विश्व को अपना कुटुंब बनाया। हमारा किसान पुरे विश्व को न देखते हुए भी पुरे विश्व की बात करता है, वह सत्संग करते हुए ऐसा बोलता है कि “धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो”, यहीं हमारी संस्कृति है।’’ कार्यक्रम में योगासनो का प्रदर्शन युवा कार्यकर्ताओ द्वारा किया गया। कार्यक्रम में 50 प्रबुद्धजनों की विशेष उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में “Spiritualising Life” पुस्तक का विमोचन किया गया।
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा रायपुर के संस्कार वर्ग एवं स्वाध्याय वर्ग के कार्यकर्ताओ द्वारा१३ सितम्बर को विश्व बंधुत्व दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ तीन ओमकार प्रार्थना एवं गीत से हुआ। खेल एवं स्वाध्याय के पश्चात् मुख्या वक्ता श्री डी.एन .शिम्पी जी का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ उन्होंने कहा की हमारी संस्कृति सभी में एकत्व का भाव देखती है। यह संस्कृति सभी को जोड़ने वाली संस्कृति है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया की हमारे देश का सामान्य व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से बाट करता है को भैया कहकर संबोधित करता है।
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा रायपुर के संस्कार वर्ग एवं स्वाध्याय वर्ग के कार्यकर्ताओ द्वारा१३ सितम्बर को विश्व बंधुत्व दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ तीन ओमकार प्रार्थना एवं गीत से हुआ। खेल एवं स्वाध्याय के पश्चात् मुख्या वक्ता श्री डी.एन .शिम्पी जी का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ उन्होंने कहा की हमारी संस्कृति सभी में एकत्व का भाव देखती है। यह संस्कृति सभी को जोड़ने वाली संस्कृति है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया की हमारे देश का सामान्य व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से बाट करता है को भैया कहकर संबोधित करता है।
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