कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बृजेंद्र कुमार दुबे एवं मुख्य वक्ता के रूप में परमहंस स्वामी आगमानंद जी के उद्बोधन प्राप्त हुए हैं। कार्यक्रम में केंद्र के कार्यकर्ताओं के साथ ही नगर के अन्य गणमान्य लोगों की भी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ भवानी दीदी द्वारा तीन ॐ प्रार्थना एवं अतिथियों के दीप प्रज्वलन से किया गया। विषय प्रवेश कराते हुए प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ विजय कुमार वर्मा ने कहा कि विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद जी मानो भारतवर्ष के साक्षात विग्रह थे। उनकी वहां उपस्थिति मानो सनातन हिंदू धर्म की हजारों वर्षों की सभ्यता संस्कृति की उपस्थिति थी। जैसा कि भगिनी निवेदिता कहती हैं भारत की धार्मिक चेतना ही उनकी वाणी के रूप में प्रस्फुटित हुई थी। उनकी वाणी भारत के संपूर्ण अतीत के द्वारा सुनिश्चित करके संपूर्ण देशवासियों की वाणी थी। सनातन धर्म कि जिस शाश्वत वाणी को स्वामी जी ने शिकागो धर्म सम्मेलन में विश्व वासियों को सुनाया था उनका मूल स्वर था "समन्वय और एकता"। मुख्य अतिथि बृजेंद्र कुमार दुबे जी ने कहा कि भारत विश्व का मार्गदर्शन करेगा साथ ही भारत की ख्याति को मानेगा। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता परमहंस स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के सशक्त उद्बोधन से तथा उनके द्वारा भारतीय संस्कृति को मिलने वाले अप्रतिम महत्व से भारतवासियों की दीर्घकालीन निंद्रा टूटी और उन्हें अपने गौरव तथा अस्मिता का बोध हुआ। उन्हें लगा कि वह दीन हीन नहीं हैं। उनके पास संसार को देने के लिए बहुत कुछ है। धर्म महासभा में स्वामी जी ने सिद्ध कर दिया कि शुद्धता पवित्रता और दयालुता किसी एक संप्रदाय की संपत्ति नहीं है। भारत के पास ऐसी आध्यात्मिक संपदा है जो विश्व के लिए एक अनुपम उपहार है। आध्यात्मिक एक्य के धागे से उन्होंने हर वर्ग, हर जाति तथा संप्रदाय के मनुष्यों को एक सुंदर माले के रूप में पिरोया था। आज भारत और विश्व के समक्ष जो चुनौतियां हैं उनका सामना हम उनके आदर्शों और संदेशों के आधार पर शीलता पूर्वक कर सकते हैं। केंद्र परिचय विनीत सिन्हा ने दिया और कहा कि केंद्र एक भारत विजयी भारत के लिए ही स्तर पर कार्य कर रही है। धन्यवाद ज्ञापन डॉ गुरुदेव पोद्दार नगर संचालक जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ मोहन मिश्र जी द्वारा किया गया। मुख्य रूप से हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी के द्वारा भजन गायन की प्रस्तुति रही।
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