विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी मध्य प्रांत शाखा बीना
बीना- "केवल हिंदू सनातन धर्म ही सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया की बात करता है" यह बात डॉ रत्नाकर चौबे ने विश्व बंधुत्व दिवस के अवसर पर विवेकानंद केंद्र समर्पण एवं सेवा प्रकल्प बीना पर आयोजित विश्व बंधुत्व दिवस के कार्यक्रम में कही।
डॉ चौबे ने आगे बताया कि १८९३ में शिकागो में धर्म संसद का आयोजन यह घोषणा करने के लिए किया गया था कि केवल एक विशेष सम्प्रदाय ही एक सच्चा धर्म है। धर्म संसद में हर कोई इस बात पर जोर दे रहा था कि केवल उसका धर्म ही सच्चा धर्म है। ऐसे में केवल भारत के युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद ने वसुधैव कुटुंबकम की बात उस धर्म संसद में की और सभी ने उसे स्वीकारा। इस हठधर्मितावाले दृष्टिकोण ने मानव जाति के इतिहास में संघर्ष और हिंसा को बढ़ावा दिया है। इसलिए, अन्य सभी को नकारनेवाले एकातिक धर्मों का पूरा इतिहास दुनियाभर के समुदायों के खून और विनाश से लिखा गया है। भारतीय संस्कृति इतिहास ऐसे ऋषियों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने अपने कदमों से इस पूरे भूमंडल को नापा है। अखंडमंडलाकारम तथा वसुधैव कुटुम्बकं की बात करने वाला धर्म केवल हिंदू सनातन धर्म है। हमारे ग्रंथ रामायण, महाभारत, भागवत गीता सभी विश्व बंधुत्व की बात करते हैं। इसलिए भारत एकमात्र देश है जिसके पास विश्व बंधुत्व का दर्शन है जो संपूर्ण विश्व शांति के लिए अनिवार्य है।
कार्यक्रम का संचालन श्री भूपेंद्र मणि तिवारी जी ने किया बहन निमिषा ने श्रीफल एवं साहित्य देकर मुख्य वक्ता को सम्मानित किया। बहन भारती ने प्रार्थना एवं गीत प्रस्तुत किया। भाई भूपेंद्र ने विवेक वाणी प्रस्तुत की तथा जितेंद्र ने मुख्य वक्ता का परिचय सभा से कराया। कार्यक्रम के अंत में श्री राजेंद्र दूर्वार जी ने धन्यवाद प्रस्ताव सभा के समक्ष रखा।
कार्यक्रम का समापन शांति पाठ एवं केंद्र प्रार्थना के साथ हुआ। इस अवसर पर नगर संचालक आदरणीय जगन्नाथ वाधवानी जी सहित अन्य गणमान्य नागरिक परिवार सहित उपस्थित रहे।
बीना- "केवल हिंदू सनातन धर्म ही सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया की बात करता है" यह बात डॉ रत्नाकर चौबे ने विश्व बंधुत्व दिवस के अवसर पर विवेकानंद केंद्र समर्पण एवं सेवा प्रकल्प बीना पर आयोजित विश्व बंधुत्व दिवस के कार्यक्रम में कही।
डॉ चौबे ने आगे बताया कि १८९३ में शिकागो में धर्म संसद का आयोजन यह घोषणा करने के लिए किया गया था कि केवल एक विशेष सम्प्रदाय ही एक सच्चा धर्म है। धर्म संसद में हर कोई इस बात पर जोर दे रहा था कि केवल उसका धर्म ही सच्चा धर्म है। ऐसे में केवल भारत के युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद ने वसुधैव कुटुंबकम की बात उस धर्म संसद में की और सभी ने उसे स्वीकारा। इस हठधर्मितावाले दृष्टिकोण ने मानव जाति के इतिहास में संघर्ष और हिंसा को बढ़ावा दिया है। इसलिए, अन्य सभी को नकारनेवाले एकातिक धर्मों का पूरा इतिहास दुनियाभर के समुदायों के खून और विनाश से लिखा गया है। भारतीय संस्कृति इतिहास ऐसे ऋषियों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने अपने कदमों से इस पूरे भूमंडल को नापा है। अखंडमंडलाकारम तथा वसुधैव कुटुम्बकं की बात करने वाला धर्म केवल हिंदू सनातन धर्म है। हमारे ग्रंथ रामायण, महाभारत, भागवत गीता सभी विश्व बंधुत्व की बात करते हैं। इसलिए भारत एकमात्र देश है जिसके पास विश्व बंधुत्व का दर्शन है जो संपूर्ण विश्व शांति के लिए अनिवार्य है।
कार्यक्रम का संचालन श्री भूपेंद्र मणि तिवारी जी ने किया बहन निमिषा ने श्रीफल एवं साहित्य देकर मुख्य वक्ता को सम्मानित किया। बहन भारती ने प्रार्थना एवं गीत प्रस्तुत किया। भाई भूपेंद्र ने विवेक वाणी प्रस्तुत की तथा जितेंद्र ने मुख्य वक्ता का परिचय सभा से कराया। कार्यक्रम के अंत में श्री राजेंद्र दूर्वार जी ने धन्यवाद प्रस्ताव सभा के समक्ष रखा।
कार्यक्रम का समापन शांति पाठ एवं केंद्र प्रार्थना के साथ हुआ। इस अवसर पर नगर संचालक आदरणीय जगन्नाथ वाधवानी जी सहित अन्य गणमान्य नागरिक परिवार सहित उपस्थित रहे।
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