Friday, January 16, 2015

विविधता के समन्वय का आदर्श भारत- गुणवन्त कोठारी

किसी भी सभ्यता में विविध संप्रदाय, भाषा, शिक्षा, पंथ, जाति भिन्नता और पूजा पद्धति की विविधता के बीच समन्वय कैसे रखा जाता है यह दुनिया में केवल भारत देश से ही सीखा जा सकता है क्योंकि भारत ने ही यह आदर्श विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है। भारत का मूल पिण्ड उसका धर्म है। जहाँ पश्चिम ने पूरे विश्व को एक पदार्थ एवं भोगवाद के रूप में देखा है वही भारत विश्व को ब्रह्म के रूप में देखता है। भारत का चिंतन समस्त ब्रह्माण्ड के लिए है जिसे आज का विज्ञान भी मानने लगा है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सेवा प्रमुख गुणवन्त कोठारी ने विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की अजमेर शाखा द्वारा आयोजित विवेकानन्द जयन्ती के अवसर पर मुख्यवक्ता के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के दरिद्र देवो भवः कहने के भीतर सेवा का भाव छिपा हुआ है। स्वामी विवेकानन्द ने आह्वान किया था कि हम भले ही अपने घर में देवी देवताओं की पूजा करें किंतु सामूहिक आराधना केवल भारत माता की ही होनी चाहिए। हम अहम् से वयम् की ओर चलें तथा मनुष्य जन्म की सार्थकता सेवा से ही सिद्ध हो सकती है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के अध्यक्ष प्रो0 बी0एल चैधरी थे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने देश को दिशा दी है अब उसकी दशा सुधारने का कार्य हमें करना है। वंचित वर्ग को शिक्षा देने और देश की विकास की मुख्यधारा में जोड़ने की चुनौती आज हमारे समक्ष उपस्थित है जिसे हमें पूरा करने का संकल्प लेना है।

इस अवसर पर केन्द्र परिचय प्रान्त सहसंचालक उमेश चैरसिया ने दिया। सुश्री श्वेता ने विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक माननीय एकनाथजी रानडे के जीवन से संबंधित तथ्यों की जानकारी दी। इस अवसर पर शहर के अनेक गणमान्य उपस्थित थे जिनमें बद्री प्रसाद पंचैली, हनुमान सिंह राठौड़, पुरूषोत्तम परांजपे, संजय शर्मा, प्रो0 एन के उपाध्याय, डाॅ0 एस एन सिंह प्रमुख थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर संचालक दिनेश अग्रवाल ने की तथा संचालन डाॅ0 स्वतन्त्र शर्मा ने किया।

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