Friday, May 20, 2016

अंतःसुख की अनुभूति ही योग

yoga satra ajmer may2016विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर द्वारा हरिभाऊ उपाध्याय नगर (मुख्य) में प्रातः 5.45 से 7.15 बजे तक योग एवं ध्यान सत्र का आयोजन
मनुष्य का शरीर मुख्य रूप पांच कोशों में विभाजित है जिनका आधार शरीर, मन, बुद्धि, प्राण एवं आनन्द है। आज मनुष्य शारीरिक रूप से अक्षम, प्रमादी एवं आलसी हो रहा है तथा मन से भी निरुत्साहित एवं संकल्पहीन हो गया है। बौद्धिक दासता से जकड़ा हुआ व्यक्ति अपने अंतःचेतना से अनभिज्ञ परम आनन्द से सर्वथा वंचित है। योग के नियमित अभ्यास से इन पांचों स्तरों पर न केवल निपुणता प्राप्त की जा सकती है अपितु आंतरिक सुषुप्त शक्तियों को भी जाग्रत किया जा सकता है। उक्त विचार योग शिक्षक डॉ. स्वतन्त्र शर्मा द्वारा विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की स्थानीय शाखा के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे योग एवं ध्यान सत्र के तृतीय दिवस के योग अभ्यास एवं ध्यान सत्र में व्यक्त किए। यह योग सत्र 22 मई तक हरिभाऊ उपाध्याय नगर (मुख्य) स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर उद्यान में प्रातः 5.45 से 7.15 तक आयोजित किया जा रहा है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि मनुष्य अपने जीवन से सुख चाहता है किंतु उन सुखों को भौतिक वस्तुओं, स्थितियों, परिस्थितियों, भावनात्मक अभिरूचियों, पसंद और रोमांच में ढूंढने का प्रयास निरंतर करता रहता है किंतु वास्तविक सुख इन सबमें न होकर हमारी मनःस्थिति में निहित होता है। इस मनःस्थिति का अन्वेषण करने के उद्देश्य से महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग दर्शन पर आधारित स्वामी विवेकानन्द द्वारा प्रतिपादित राजयोग का अभ्यास विवेकानन्द केन्द्र द्वारा इस योग एवं ध्यान सत्र में कराया जा रहा है।
योग प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि इस योग सत्र में 86 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। आज के सत्र में प्रतिभागियों को सूर्यनमस्कार के गणशः अभ्यास के साथ ही क्रीड़ा योग भी कराया गया जिसके तहत हाथी घोड़ा पालकी खेल खेला गया। विवेकानन्द केन्द्र के सहनगर प्रमुख अखिल शर्मा ने बताया कि इस योग सत्र
 में योग आसनों का प्रदर्शन देवांश ओझा कर रहे हैं जबकि निरीक्षण टीम में सविता कौशिक, ओमप्रकाश छापरवाल, सीमा, महेन्द्र मूंदड़ा, प्रकाश पुरोहित, रामचन्द्र यादव तथा राजीव गुप्ता सम्मिलित हैं।

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