हमारे देश में कहीं भी विविधता नहीं है अपितु एकता ही दिखाई देती है। भारतीय संकल्पना ही कर्म के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने की है और यह कर्म यदि कहीं एकात्मता से किया जा सकता है तो वह विवेकानन्द केन्द्र ही है। ईश्वर प्राप्ति की दिशा में पहला कदम स्वयं को जानना है और स्वयं को जानने के उपरांत राष्टं की संकल्पना समझ में जा सकती है और उसी से हमें धर्म की सही परिभाषा का ज्ञान हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक ध्येय होना चाहिए इसलिए विवेकानन्द केन्द्र से जुड़ कर जीवन का स्पष्ट ध्येय रेखांकित किया जा सकता है। उक्त विचार विवेकानन्द अंतर्राष्टंीय प्रतिष्ठान नई दिल्ली के सह सचिव मानस भट्टाचार्य ने व्यक्त किए। वे विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर द्वारा मेडिकल काॅलेज के सभागार में आयोजित परिपोषक सम्मेलन के अवसर पर बोल रहे थे।
परिपोषक सम्मेलन में नगर के गणमान्य नागरिकों ने अपनी उपस्थिति दी जिनमें डाॅ. बद्री प्रसाद पंचोली, दिनेश अग्रवाल, प्रांत संगठक रचना जानी, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के निदेशक शोध एन के उपाध्याय, विधि विभाग के आर एस अग्रवाल प्रमुख थे । इस कार्यक्रम में केन्द्र द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर किए जा रहे कार्यों का चलचित्र के माध्यम से निरूपण किया गया तथा माननीय एकनाथ रानडे के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र भी दिखाया गया।इस अवसर पर स्थानिक गतिविधियों की जानकारी उमेश चैरसिया ने दी तथा विवेकानन्द केन्द्र से जुड़ कर कार्य करने हेतु व्यक्तिशः संवाद का आयोजन केन्द्र के सह-विभाग प्रमुख अविनाश शर्माने किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रवीण माथुर ने किया तथा वंदे मातरम् एवं पुष्पापर्णम् के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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