Friday, May 29, 2015

दिल्ली में तीन दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर

 दिल्ली विभाग के जनकपुरी नगर का तीन दिवसीय निवासी व्यक्तित्व विकास शिविर 18 मई 2015 से लेकर 21 मई 2015 तक महाशय चुन्नी लाल विद्यालय, हरी नगर में संपन्न हुआ।शिविर में 12 से 16 वर्ष तक की आयु के 154 विद्यार्थियों ने भाग लिया तथा कुल 11 कार्यकर्ताओं ने शिविर का संचालन किया। 18 मई शाम 5 बजे से पंजीकरण आरंभ हुआ तथा शिविरार्थियों को आठ गणों गंगा,सिंधु,कृष्णा,कावेरी, यमुना, गोदावरी, नर्मदा तथा महानदी में आयोजित किया गया। भजन संख्या एवं परिचय सत्र के पश्चात् शिविर प्रमुख ओमप्रकाश जी ने विद्यार्थियों का शिविर के संबंध में मार्गदर्शन किया।भोजन के पश्चात् 'आनंद मेले' में बच्चों को रोचक खेल खिलाए गए।हनुमान चालीसा के पठन के साथ दिन का समापन हुआ।      

अगले दिन सुबह 5:30 बजे जागरण, प्रातः स्मरण, योग, गीता पठन, अल्पाहार एवं श्रम संस्कार के पश्चात् शिविर की मुख्य गतिविधियां आरंभ हुईं। बच्चों के चहुंमुखी विकास के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस शिविर में अनेक रोचक सत्र रखे गए थे। प्रथम सत्र मानस भैया ने 'व्यक्तित्व क्या है' विषय पर लिया तथा इसके बाद इसी विषय पर बच्चों के बीच गणशः सामूहिक चर्चा एवं मंच प्रस्तुतिकरण हुआ।द्वितीय सत्र 'वैदिक गणित' का रहा जिसमें श्री मारुति शर्मा जी ने वैदिक सिद्वांतों पर आधारित गणित की बारीकियां व सवाल हल करने के आसान तरीके छात्रों को बताए जिसे उन्होंने उत्साहपूर्वक समझा। नगर प्रमुख श्रीमती नीमा भट्ट ने 'रचनात्मकता सत्र' में बच्चों को पुराने व बेकार सामान से कुछ अनोखा बनाने का कार्य दिया जिसे बच्चों ने बखूबी निभाया। 'कथा कथन' सत्र में श्रीमती रचना दीक्षित जी ने कहानियों के माध्यम से स्वामी विवेकानंद का जीवन बच्चों के समक्ष रखा।संस्कार वर्ग में बच्चों के शारीरिक विकास हेतु खेल खिलाए गए एवं गीत तथा कहानी के माध्यम से उनमें देशभक्ति भावना भरने का प्रयास किया गया।

दूसरे दिन विभाग प्रमुख डॉ० नित्यानंद अगस्ती जी ने 'अमृतस्य पुत्राः' विषय पर बौद्धिक सत्र लिया। उन्होंने छात्रों को विभिन्न महापुरुषों के जीवन से उदाहरण दिए और बताया कि यदि स्वयं पर विश्वास हो, हृदय में साहस हो तो हम भी अपने भीतर छुपे दिव्यत्व को प्रकट कर सकते हैं तथा असंभव कार्य भी सरलता से कर सकते हैं। गणश: सामूहिक चर्चा में बच्चों को तीन ऐसे महान व्यक्तित्व की जीवनगाथा प्रस्तुत करने को कहा गया जो कठिनाइयों से जूझकर सफलता के शिखर तक पहुंचे। वैदिक गणित में कुछ नए तरीके सीखने के बाद रचनात्मकता सत्र में बच्चों ने मिलजुल कर अपने गण में से किसी एक छात्र/छात्रा को मात्र अखबार के पन्नों का उपयोग करते हुए स्वतंत्रता सेनानी की वेशभूषा में तैयार किया एवं सभी की वाहवाही लूटी। 'कथा कथन' सत्र में श्री सुदर्शन जी ने बहुत ही रोचक ढंग से बच्चों को रामायण तथा महाभारत के विद्यार्थी काल की कहानियां सुनाईँ।संस्कार वर्ग तथा भजन संध्या के बाद पंचम सत्र में चलचित्र के माध्यम से बच्चों को संगठित होकर काम करने का महत्त्व बताया गया। तीसरे दिन श्री शैलेन्द्र सिंह जी ने प्रथम सत्र में 'भारत के वीर' विषय पर बच्चों को वीरों के जीवन के बारे में बताया तथा उनके गुणों को स्वयं में लाने का प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। 'महापुरुषों की विशेषताएं' विषय पर बच्चों ने गणश: चर्चा के बाद बहुत सुंदर प्रस्तुति दी। वैदिक गणित के सत्र के बाद रचनात्मकता सत्र के अंतर्गत छात्रों ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन की विभिन्न घटनाओं पर नाट्य प्रस्तुति दी।तत्पश्चात बच्चों एवं उनके माता पिता की उपस्थिति में समापन सत्र हुआ जिसमें स्कूल के प्रधानाचार्य श्री अजय अवस्थी जी,प्रबंधक श्री प्रभास जी तथा नगर संचालक श्री रंजीत रेहान जी ने बच्चों का मार्गदर्शन किया।दिल्ली विभाग के संगठक श्री मानस भट्टाचार्जी ने अभिभावकों को संस्कार वर्ग के बारे में जानकारी दी।इसके बाद बच्चों ने भी मंच पर आकर अपने अनुभव सांझा किए।शांति मंत्र के साथ इस तीन दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन हुआ।

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