विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा - इन्दौर कि ओर से स्वामीजी के विचार सभी तक पहुचाने हेतु स्वामी प्रबुद्धानन्दजी का व्याख्यान आयोजन किया गया था। स्वामी प्रबुद्धानन्दजी ने कल्याण के दो प्रकार व्यक्तिगत (individual) और ब्र्ह्मांडीय (Cosmic) बताये ।
व्यक्तिगत (individual) प्रकार के लिये हमारे ऋषियों ने सुत्र दिया है सत्यम, शिवम, सुन्दरम, शिवम अर्थात कल्याण, कल्याण सत्य मे होता है और फ़िर सर्वत्र सुन्दर दिखायी देता है. ब्र्ह्मांडीय (Cosmic) कल्याण अर्थात एक जीव दुसरे जीव से प्रेम से रहे यही कल्याण है । स्वामीज प्रबुद्धानन्दजी ने कहा की आज के युवा को प्रेम नहि मिल रहा है, शिव भावे जिव सेवा से हम उसे प्रेम दे सकते हैं । इसके बाद स्वामी प्रबुद्धानन्दजी ने भारत के उत्थान मे विश्व का कल्याण इस को समझना होंगा तो हमे भारत की दृष्टि को समझना होंगा। आज हम छिपाव और दुराव की संस्कृती को अपना रहे है। जगत को देखने का दृष्टिकोण होता है और भारत के पास एक दृष्टि है जो किसी के पास नही है, वह है "आध्यात्मिक दृष्टि" और बाकी अन्य के पास यह "भौतिक दृष्टि" है। भौतिकवाद याने जो मुझे दिखता है उसे मै मानता हु और आध्यात्मिक दृष्टि याने दृष्य के पिछे की दृष्टि को देखना । जो दिख रहा है वह तो सत्य है ही परंतु इसपर शासन कोई और कर रहा है जो दिखाई नही देता है।
भारत विश्व का कल्याण करेंगा उसके पिछे केवल आध्यत्मित दृष्टि है। इसके पश्चात स्वमी प्रबुद्धानन्दजी ने विकास की संकल्पना को बताते हुये कहा की सोचे बिना हुआअ अन्धानुकरण वाला विस्तात, पतन की और ले जाता है । आज हम इस प्रकारके विस्तार को ही विकास समज रहे है। आज भारत को अपने आध्यात्मिक विकास का विस्तार करना है । विवेकानन्द केन्द्र के नगर प्रमुख श्री अतुलशेठजी ने आहवान किया की हम सभी को युवा को, समाजके बिच मे जाकर स्वामीजी के विचार पहुचाना होंगा और आने वाल वर्ष यह स्वामीजी का १५० वा वर्ष है तो यह हम सभी के लिये अवसर है । कार्यक्रम का संचालन सुनयना बुग्दे ने किया ।
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