Sunday, September 2, 2012

कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिबिर - ईटानगर

Kps itanagar august 2012"विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा-ईटानगर द्वारा पांच दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिबिर का आयोजिन 18 से 22 अगस्त 2012, विवेकनन्द केन्द्र विद्यालय, निर्जुली में सम्पन्न हुआ। शिविर का प्रारंभ भजन संध्या से किया गया। श्री कल्याण दत्त, नगर प्रमुख - ईटानगर, द्वारा "मनुष्य निर्माण से राष्ट्रपुनरुत्थान" विषय पर कार्यकतोंओं को बताया कि त्याग यानि मनुष्य ओर सेवा यानि राष्ट्र ऐसे मनुष्यों का निर्माण करना जो भारतमाता के लिए कार्य करता रहे। श्री दंगसम भैया, केन्द्र कार्यकर्ता द्वारा स्वामी विवेकानन्द विषय पर बताया कि स्वामी जी का जीवन ओर अग्निमंत्र सभी व्यक्ति को शक्ति प्रदान करते है। कार्यकर्ताओं को स्वामीजी का जीवन का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहिए। श्री सुभाषचन्द्र दीक्षित, प्राचार्य (प्रिंसीपल) वि.के. विद्यालय, चिम्पू-ईटानगर, द्वारा संगठित कार्य की आवश्यकता विषय पर बताया गया कि सृष्टि में बिना संगठित कोई भी कार्य संभव नही।

Kps itanagar august 2012श्री तारा दाजाम, सह नगर प्रमुख, ईटानगर द्वारा विवेकानन्द शिला स्मारक और माननीय एकनाथजी विषय पर स्वामी विवेकानन्द के विचारों का जीवन्त स्मारक है जिसे मा.एकनाथ जी ने सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान से जीवन्त रुप दिया। श्री अशोक आटले, नगर संगठन - ईटानगर, द्वारा कार्य पद्वाति और कार्यप्रणाली विषय पर विस्तुत रुप से बताया कि कार्यपद्वति के तीन प्रमुख अंग १. योग वर्ग २. स्वाध्याय वर्ग ३. संस्कार वर्ग ओर कार्य प्रणाली लोक संग्रह, लोक संपर्क, लोक संस्कार और लोक व्यवस्था को कार्यकर्ताओं के समाने रखा। श्री लोवसांग ताशी थोंगन द्वारा संगठन ओर कार्यकर्ता विषय पर बताया कि संगठन में कार्यकर्ता नदी के पानी के तरह होता है जो अन्त में विशाल सागर में मिल जाता है जहां कार्यकर्ता और संगठन एक हो जाते है।
श्री फुन्तसो गोम्बू द्वारा केन्द्र प्रार्थना का अर्थ बताया गया कि इसमें किसी व्यक्ति का नही, परंतु संगठन को शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना कि गई है। श्री तावा तातुप, स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह प्रांत कार्यालाया प्रमुखने, अरुणाचल प्रदेश, द्वारा स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह की विस्तुत जानकारी दी। श्री रुपेश माथुर, प्रांत संगठक, अरुणाचल प्रदेश द्वारा आहूति सत्र का मतलब बताया गया ओर कहा की भारतमाता का कार्य ही कार्यकर्ता का ध्येय होना चाहिए। शिविर में योगाभ्यास, संस्कार वर्ग, केन्द्र की विस्तुत जानकारी मंथन के द्वारा कार्यकर्ताओं को बताया गया और आहूति सत्र से शिविर का समपान किया गया।

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