दोन युवा राष्ट्र निर्माते राजे शिव छत्रपती व स्वामी विवेकानन्द
विश्व बन्धुत्व दिन के उपलक्ष्य में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा नाशिक द्वारा युवाओं के लिये राष्ट्रीय कीर्तनकार श्री चारुदत्त आफळेजी की कार्यशाला का आयोजन किया गया। शनिवार दि.15 सप्टेंबर को शंकराचार्य संकुल मे तीन सत्रों में मा. आफळेबुवाने ‘दोन युवा राष्ट्र निर्माते राजे शिव छत्रपती व स्वामी विवेकानन्द’‘ इस विषयपर मार्गदर्शन किया। साधना के साथ साथ सामर्थ्यवान होना भी आवश्यक है ऐसे छत्रपती शिवराय और स्वामी विवेकानन्द दोनो ने बताया है। माता के संस्कारों से ही दोनोका जीवन उज्वल बना। शिवराय को जिजामाता ने और स्वामी विवेकानन्दजी को भुवनेश्वरी देवीने सुसंस्कारित किया था। दोनोने अपने जीवन में बहत संघर्ष किया। राष्ट्र के लिए समर्पण भावना से योगदान दिया। संस्कार ही भारतीय संस्कृती का मेरुदण्ड है। प्रखर देशभक्ती के कारण ही दोनो ने भारत माता का गौरव बढाया। दोनोका चरित्र अगली कई पीढियोंको मार्गदर्शन करेगा। कार्यशाला को विविध महाविद्यालयों से 500 युवक-युवती उपस्थित थे।
दिन भर की कार्यशाला का प्रारंभ तीन ओमकार एवं प्रार्थना से हुआ। महाराष्ट्र प्रांत संघटक मा. विश्वासजी लपालकर ने ‘भारतमाता ध्यान’ का अभिनव उपक्रम लिया। संपूर्ण भारतमाता का, वैषिष्ट्यों सहित परिचय करवाया,आजकी दिक् भ्रमित अवस्था की जानकारी दी। आखिर में इस अवस्था से निकल कर पुनः जगत्गुरू पदपर आरुढ करने के लिए अपने पूरे सामर्थ्य के साथ राष्ट्रकार्य में सामिल होने का आहवान किया। प्रास्ताविक केंद्र परिचय अभिषेक कासोदेने दिया। अतिथी परिचय दिग्विजय मगरने दिया, सूत्र संचलन निनाद पाठक ने किया। कार्यक्रम में मंचपर विवेकानन्द केन्द्र महाराष्ट्र प्रान्त संगठक श्री विश्वासजी लपालकर, नाशिक नगर संचालक श्री श्रीकृष्ण विद्वांस, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघके पदाधिकारी श्री जयंत रानडे उपस्थित थे। वंदे मातरम से कार्यशाला का समापन हुआ।
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