Tuesday, December 29, 2015

अभावग्रस्त लोगों की सेवा करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य : मा. पी.परमेश्वरन

Sarthak Yuva Samarth Bharat - Groupwise Manthan by Sistersकन्याकुमारी में राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित 680 युवाओं का महाशिविर सार्थक युवा समर्थ भारत अखिल भारतीय महाशिविर का उद्घाटन आज ९ बजे विवेकानन्दपुरम में हुआ।
अभावग्रस्त लोगों की सेवा करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। इसके लिए प्रत्येक व्य
क्ति को अपना जीवन समर्पित करना है। ऐसा आह्वान करते हुए विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के अध्यक्ष माननीय पी.परमेश्वरन जी ने कहा कि कर्तव्य केवल एक दिन का कार्य नहीं है वरन समर्पण की नित्य साधना से ही कर्तव्य का भाव प्रगट होता है, इसलिए समर्पण की नित्य साधना प्रत्येक मनुष्य को करनी होगी। उन्होंने कहा की ऐसे समर्पण का भाव अपने भीतर विद्यमान दिव्यत्व की अनुभूति से प्रगट होता है। सारे समर्पित कार्य का स्रोत अपने हृदय की प्रेरणा ही होती है।
सार्थक युवा-समर्थ भारत महाशिविर के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए परमेश्वरनजी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्दजी के आदर्शों के अनुरूप माननीय एकनाथजी ने विवेकानन्द केन्द्र की सम्पूर्ण रचना की। चाहे वह योग हो या शिक्षा, ग्रामीण विकास हो या प्राकृतिक संसाधनों का संवर्धन अथवा स्वास्थ्य सेवा, इन सभी में आध्यात्मिक प्रेरणा अनिवार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, इस शिविर में सम्मिलित प्रत्येक शिविरार्थी से यह अपेक्षा है कि वह अपनेआप को लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप उन्नत करें और स्वयं को भारतमाता के कार्य के लिए समर्पित कर दें।
सेवारत युवाओं के सामूहिक समर्पण पर ही भारत माँ का भविष्य निर्भर है, जो कि अंततोगत्वा विश्व का ही भविष्य है।
ज्ञात हो कि 25, 26 और 27 दिसम्बर, 1892 को स्वामी विवेकानन्दजी ने कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य स्थित श्रीपाद शिला पर राष्ट्रचिंतन किया था। स्वामीजी को इन तीन दिनों के ध्यान से भारत को जाग्रत करने का मार्ग मिला था। इन तीन दिनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने 25 से 27 दिसंबर को इस शिविर का आयोजन किया है। इस शिविर में कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल से गुजरात में काम से छह माह सेवारत 680 युवा, जिनमें 432 युवकों तथा 248 युवतियों का समावेश है।
इस उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भारत विकास ग्रुप के संस्थापक तथा अध्यक्ष श्री हनुमन्त गायकवाड़ तथा विवेकानन्द केंद्र के उपाध्यक्ष श्री ए.बालकृष्णन व्यासपीठ पर विराजमान थे। अबतक 65 हजार युवाओं को रोजगार देनेवाले हनुमंत गायकवाड़ ने अपने सफल व सार्थक जीवन का अनुभव बताया। साथ ही केंद्र के उपाध्यक्ष बालकृष्णनजी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि भारत तभी जगतगुरु बनेगा जब देशवासियों के मन में त्याग और सेवा का भाव जाग्रत होगा। उन्होंने बताया कि हमें कभी हताश या निराश नहीं होना है क्योंकि हम अमृत के पुत्र हैं, ईश्वर हमारे भीतर है। हम अपने अंदर निहित शक्ति से साडी बाधाओं को पार कर सकते हैं।   

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