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- मा. एकनाथजी के जीवन का केंद्र बिंदु यह स्वामी विवेकानंद थे,
- स्वामीजी के विचारों का सारांश याने मा. एकनाथजी का जीवन था,
- शिलास्मारक के लिए एक रूपये के माध्यम से पैसा इकट्ठा करना यह उद्देश्य नहीं था तो सभी का सहयोग हो यह भाव था,
- मा एकनाथजी ने पुरे देश में अनुकुल वातावरण निर्माण किया, नेहरूजी के सन्देश को समझने वाले श्री भक्त्वत्सलम को भी इस कार्य के लिए तैयार किया,
- प्रबुद्ध देश की सोच रखते है और युवा देश का इतिहास बदलते है,
- हमारे राष्ट्र के समक्ष चुनौतिया बहुत बढ़ी है और इसीलिए कार्यकर्ता ने संगठन के माध्यम से मेरी भूमिका इस राष्ट्र कार्य में क्या है यह तय करना है,
- जीवन एक ध्येय होने से कोई भी कार्य कठिन नहीं होता,
- मा. एकनाथजी के लिए स्वामीजी थे और कार्यकर्ता के लिए मा. एकनाथजी है,
अंत में आवाहन किया की सभी कार्यकर्ता अपना आवश्यक समय दे और स्वामीजी के स्वप्न और मा. एकनाथजी के मिशन को पूर्ण करने में अपनी शक्ति लगाये। मा प्रान्त संचालक श्री मनोहर देवजी ने इंदौर नगर का कार्य और दृढ़ करे ऐसा आवाहना किया तथा श्री अतुल सेठजी ने केंद्र का परिचय दिया। सम्मलेन में कुल ७० कार्यकर्ता ने भाग लिया।
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