Monday, April 15, 2013

रानीवाड़ा में वीराट शोभायात्रा

12/01/2013 रानीवाड़ा : स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती के उपलक्ष में रानीवाड़ा में वीराट शोभायात्रा का आयोजन हुआ। शार्धशती समिति की ओर से आयोजित शोभायात्रा को संबोधित करते हुए, बड़गांव सुरज कुडं महंत श्री 1008 लहर भारती महाराज नें, कहा कि आज हमें स्वामी विवेंकानन्द के विचारों को अपनाने की आवश्यकता है। स्वामी विवेकानन्द ने जिस प्रकार हिन्दु धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिये अपना जीवन सर्वस्व समर्पित किया उसी प्रकार हमें भी देश हेतु कार्य करना चाहिए। इससे पूर्व शोभायात्रा रानीवाड़ा शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए खेल मैदान पहुँचे। शोभायात्रा में स्थानीय सांसद श्री देवजी भाई पटेल सहित रानीवाड़ा के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए। शोभायात्रा की सामग्री व्यवस्थाएँ स्वामी विवेकानन्द सार्धराती समिती रानीवाड़ा के कार्यकर्ताओ मंजीराम चैधरी, लक्ष्मीकान्त गुप्ता, हनवंत शर्मा, सवदाराम चैधरी, चेतदान चारण, विष्णुदान चारण, अमृत कुमार देवासी , जयन्तिलाल मोदी, विक्रमसिंह, अशोक कुमार सोलंकी, बाबुलाल राजनट आदि कार्यकर्ताओं द्वारा की गई।
चैहटन , बाड़मेर स्वामी विवेकानन्द सार्धषती के निमित्त चैहटन तहसील केन्द्र का उद्घाटन कार्यक्रम की भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जिसमें चैहटन षहर के रा.उ.मा.वि.चैहटन, रा.बा.उ.मा.वि.चैहटन, आदर्श वि.मं.उ.मा.,चैहटन, विरात्रा पब्लिक स्कूल, खीमराज डोसी बाल मन्दिर, कुम्भाराम आर्य शिक्षण संस्थान, शंकर बाल निकेतन, मदर टेरेसा ब्रिलियन्ट एकेडमी, मारवाड़ पब्लिक स्कूल सहित शहर के सभी राजकीय और निजी विद्यालयों के पांच हजार छात्र छात्राओं के हाथ में स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं वाली तख्तिया अपने हाथ में लेकर चले और शहर के इन विद्यालय की 300 बहिनें कलश यात्रा में शामिल हुई। वहीं 150 मोटरसाईकिल व पचास विद्यार्थी स्वामी विवेकानन्द बनकर आकर्षक स्वामी विवेकानन्द का रथ के पीछे पीछे सधे हुए कदमों से चैहटन की अब तक की ऐतिहासिक शोभा यात्रा जो कुल मिलकर 2 किमी. लम्बी थी, चैहटन के स्टेडियम से प्रारम्भ होकर आदर्श विद्या मन्दिर उ.मा. में सभा के रूप में बदल गई। जिसमें मुख्य अतिथि भवेन्द्र कुमार गोयल ने विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को उस अनुरूप ढ़ालने का आह्वान किया । वहीं मुख्य वक्ता रिखबदासजी बोथरा (मा. सह जिला संघचालक) जी ने सम्बोधित करते हुए स्वामी विवेकानन्दजी के जीवन पर प्रकाष डालते हुए वर्श प्रयन्त सम्पन्न होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी व जिस प्रकार स्वामी विवेकानन्द थे शिकागों से सम्पूर्ण विष्व भर में हुंकार भर दी। उसी प्रकार आज फिर ‘उतिश्ठित जाग्रत’’ की आवष्यकता है। फिर से मातृभूमि के लिए जागरूक होने की आवश्यकता पर बल दिया।

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