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संवादात्मक सत्र में सुश्री प्रांजलि ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन से जुड़े अनेक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वामीजी की स्मरण ाक्ति फोटोग्राफिक थी। वे जिस भी पृष्ठ को एक बार पढ़ लेते थे उसे उम्रभर नहीं भूलते थे। विद्यार्थी भी ऐसी स्मरण ाक्ति पा सकता है किंतु उसे इसके लिए विधिवत प्रािक्षण एवं आचरण की आवयकता होती है। विद्यार्थियों के मध्य युवा की व्याख्या करते हुए बताया कि आज का युवा काले बाल वाला बूढ़ा हो गया है तथा गुलामी की मानसिकता के चलते अपने ही देा की बुराई को बड़े चाव से सुनता है तथा उसका प्रतिकार करने की ाक्ति भी नहीं जुटा पाता। स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरित होकर छात्र आर्दा आचरण कर सकता है।
इस अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त के प्रािक्षण प्रमुख डॉ. स्वतन्त्र ार्मा ने विद्यार्थियों को स्मरण ाक्ति बढ़ाने के लिए केन्द्र द्वारा आयोजित योग प्रतिमान ‘‘परीक्षा दें हँसते-हँसते’’ के विषय में जानकारी दी। इस अवसर पर प्राचार्य श्री वी पी ार्मा ने इस योग प्रतिमान को विद्यालय के विद्यार्थियों हेतु आयोजित करने की सहमति प्रदान की। संवाद सत्र का संयोजन अनिल ार्मा ने किया तथा संचालन योग प्रमुख अंकुर प्रजापति ने किया।
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