विवेकानन्द केंद्र द्वारा विवेकानन्द जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ तीन ओमकार प्रार्थना के साथ हुआ। कार्यक्रम का विषय राष्ट्र पुन:निर्माण में युवाओं का आव्हान मुख्य अथिति श्री युगल किशोर सिंह प्राचार्य महंथ मधुसुधन महाविद्यालय ने कहा की युवा वर्ग किसी भी कल या देश का आईना होता है जिसमे हमें उस युग का भूत, वर्तमान, और भविष्य साफ दिखाई पड़ता है। इनमे इतना जोश रहता है कि ये किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिए तैयार रहते हैं, और इसी में यौवन की सच्ची सार्थकता है।
मुख्य वक्ता श्रद्धेय श्री सुखानंद जी महाराज , सचिव, रामकृष्ण मिशन पटना ने युवाओ को समाज के प्रति जागृत करते हुए कहा की किसी भी देश का समुचित विकास उसके कर्मशील नागरिको पर निर्भर है जिसमे अग्रणी भूमिका युवाओ की रहनी है।
उन्होंने ये भी कहा की सफलता अर्जित करने के लिए प्रगाढ जिज्ञासा, काम करते रहने की ललक, दूरदर्शिता और कठोर परिश्रम की आवश्यकता है। सफल होने के लिए प्रतीक्षा की आवश्यकता नही है क्योंकी इंतजार करने वाला सिर्फ इतना ही पाता है जितना कोशिश करने वाला छोड़ जाता है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अनिल सुलभ, अध्यक्ष प्रधान मंत्री, बिहार हिंदी साहित्य समेल्लन, उन्होंने विवेकानंद केंद्र की पटना में चल रही गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा की इससे समाज को नयी दिशा मिल रहा है।
इस कार्यक्रम का संचालन स्नेहा सागर ने किया। तथा धन्यवाद् ज्ञापन श्री राजकुमार जी ने किया।
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