Wednesday, January 22, 2020

भगवत गीता युवाओं का ग्रंथ है

भगवत गीता का पारायण युवावस्था से ही प्रारंभ होना चाहिए। गीता में जीवन जीने की कला भगवान श्रीकृष्ण ने बताई है, और यह हर व्यक्ति को अपने युवा काल में ही ज्ञात होनी चाहिए। भगवत गीता में आज के व्यक्तिगत और सामाजिक हर समस्या का समाधान है। उक्त विचारों से युक्त विवेकानंद केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्षा पद्मश्री निवेदिता भिड़े का पत्र आज गीता जयंती के उपलक्ष पर विवेकानंद केंद्र, गीता भवन, जोधपुर में पढ़ा गया। इसके पहले संपूर्ण भगवत गीता का पारायण किया गया। 18 अध्यायों के 700 श्लोकों का सामूहिक परायण 30 से भी अधिक सहभागीयों ने, जिसमें युवा बड़ी संख्या में शामिल थे, ने किया। भगवत गीता के उपदेशों को जीवन में उतार कर विवेकानंद केंद्र के संस्थापक एकनाथजी रानाडे ने विवेकानंद शिला स्मारक का निर्माण आज से 50 वर्ष पूर्व सफलतापूर्वक किया था। इस गीता प्रेरित घटना का भी स्मरण इस उपलक्ष में किया गया। कार्यक्रम में विवेकानंद केंद्र के प्रांत समिति के सदस्य श्री चंद्र प्रकाश अरोड़ा, विभाग प्रमुख श्री प्रेम रतन सोतवाल, संपर्क प्रमुख श्री गिरीश सोनी, प्रकल्प संगठक श्री दीपक खैरे, केंद्र के अनेक कार्यकर्ता, योग शिक्षक और शुभचिंतक उपस्थित थे।

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