विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी के उत्तर प्रान्त के दिल्ली विभाग का स्थानिक कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर 25 - 30 दिसंबर 2019 के बीच महाराजा अग्रसेन कॉलेज , वसुंधरा एन्क्लेव में संपन्न हुआ। शिविर में कुल 201 की संख्या उपस्थित रही जिनमें कुल 155 शिविरार्थी उपस्थित रहे। शिविर कुल चार मंडलों में विभाजित रहा जिनमें विक्रमशिला , तक्षशिला , नालंदा तथा विजयनगर रहे। इन मंडलों के अन्तर्गत कुल 12 गण विभाजित किए गए।
कुल 36 की संख्या ने संचालन कार्य निष्पादित किया तथा 15 ने व्यवस्था कार्यों में योगदान दिया। शिविर की शुरुआत 25 दिसंबर संध्या 6:30 से परिचय सत्र से हुई जिसमें शिविर प्रमुख निखिल यादव जी ने सभी व्यवस्था टोलियों का परिचय करवाया। इसके पश्चात उत्तर प्रांत के प्रांत संगठक मानस जी ने परिचय सत्र संबोधित किया जिसका विषय ' हम यहां क्यों ' रहा। आगे के बौद्धिक सत्र स्वामी विवेकानंद तथा सिस्टर निवेदिता पर आधारित रहे।
सिस्टर निवेदिता विषय पर अर्पिता मित्रा दीदी ने मार्गदर्शन प्रदान किया तथा स्वामी विवेकानंद विषय मानस जी का रहा। आगामी बौद्धिक सत्र एकनाथजी तथा विवेकानन्द शिला स्मारक पर केन्द्रित रहे जिसे निखिल जी ने संबोधित किया। इसके पश्चात विषय 'विवेकानन्द केन्द्र: एक सेवा संगठन' इस विषय पर आदरणीय अशोक रैना जी ने अपना वक्तव्य दिया। बाद के बौद्धिक सत्र सेवा ही साधना से लिए गए विषयों पर आधारित रहे जिनमें उद्देश्यपूर्ण जीवन विषय अल्कागौरी दीदी ने संबोधित किया , व्यस्कता की ओर विषय अमोल नेरकर जी का रहा। अनुशासन विषय पर बौद्धिक सत्र माननीय किशोर जी ने संबोधित किया।
शिविर के अंतिम दिन के बौद्धिक सत्र का ' हमारा कार्य : राष्ट्र पुनर्निर्माण ' रहा जिसे माननीय किशोर जी ने संबोधित किया। उन्होंने युवाओं को राष्ट्र निर्माण की इकाई कहा तथा पुनः भारत वर्ष के गौरव को प्राप्त करने के लिए आगे आकर योगदान देने पर बल दिया। शिविर में कुल पांच जीवन चरित्र सत्र हुए जिनमें दयानंद सरस्वती , वीर शिवाजी , गुरु गोबिंद सिंह , नारायण गुरु तथा पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन पर विभिन्न वक्ताओं ने प्रकाश डाला। प्रतिदिन दो केन्द्र वर्ग हुए जिनमें विभिन्न प्रकार के खेल हुए साथ ही आज्ञा अभ्यास पर ज्यादा जोर रहा। खेलों में बतिरे की फांक , टैंक युद्ध , कब्बड़ी आदि हुए। शिविर के अंतिम दिन सभी ने 108 सूर्य नमस्कार किए जोकि बहुत प्रेरणादाई रहा। प्रेरणा से पुनरुत्थान में प्रारंभिक परिचय वाले खेलों से शुरुआत हुई। इस सत्र में एक्शन सॉन्ग भी हुए तथा अंतिम सत्र में एक क्विज आयोजित की गई जिसमें सभी ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इसी सत्र में दो आमंत्रित वक्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। कृष्ण पुरोहित जी ने "विवेकानंद केन्द्र: उत्तर - पूर्व भारत में " विषय पर अपने अनुभव साझा किए। नेशनल वार मेमोरियल के डायरेक्टर कर्नल दिग्विजय बसेरा जी ने अंतिम सत्र में केन्द्र से अपने जुड़ने के अनुभव बताए। इसी सत्र में संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने वाले "एकात्मता सोत्र" का भी प्रतिदिन पाठ हुआ।
शिविर के समापन सत्र में आमंत्रित अतिथि महाराजा अग्रसेन कॉलेज के प्रिंसिपल संजीव तिवारी जी रहे। उन्होंने अपने संदेश में युवाओं को आगे बढ़कर भारत को ऊंचा उठाने की बात कही। शिविरार्थियों के अनुभव कथन के बाद पुष्पांजलि संपन्न हुई। इसके पश्चात सभी ने क्षेत्र- वार बैठक में हिस्सा लिया, साथ ही साथ केन्द्र प्रकाशन की पुस्तकें भी सभी ने क्रय कीं। इसके पश्चात शिविरार्थी अपने अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। आयोजक समूह के पूर्ण अवलोकन बैठक के बाद शिविर औपचारिक रूप से संपन्न हुआ।
कुल 36 की संख्या ने संचालन कार्य निष्पादित किया तथा 15 ने व्यवस्था कार्यों में योगदान दिया। शिविर की शुरुआत 25 दिसंबर संध्या 6:30 से परिचय सत्र से हुई जिसमें शिविर प्रमुख निखिल यादव जी ने सभी व्यवस्था टोलियों का परिचय करवाया। इसके पश्चात उत्तर प्रांत के प्रांत संगठक मानस जी ने परिचय सत्र संबोधित किया जिसका विषय ' हम यहां क्यों ' रहा। आगे के बौद्धिक सत्र स्वामी विवेकानंद तथा सिस्टर निवेदिता पर आधारित रहे।
सिस्टर निवेदिता विषय पर अर्पिता मित्रा दीदी ने मार्गदर्शन प्रदान किया तथा स्वामी विवेकानंद विषय मानस जी का रहा। आगामी बौद्धिक सत्र एकनाथजी तथा विवेकानन्द शिला स्मारक पर केन्द्रित रहे जिसे निखिल जी ने संबोधित किया। इसके पश्चात विषय 'विवेकानन्द केन्द्र: एक सेवा संगठन' इस विषय पर आदरणीय अशोक रैना जी ने अपना वक्तव्य दिया। बाद के बौद्धिक सत्र सेवा ही साधना से लिए गए विषयों पर आधारित रहे जिनमें उद्देश्यपूर्ण जीवन विषय अल्कागौरी दीदी ने संबोधित किया , व्यस्कता की ओर विषय अमोल नेरकर जी का रहा। अनुशासन विषय पर बौद्धिक सत्र माननीय किशोर जी ने संबोधित किया।
शिविर के अंतिम दिन के बौद्धिक सत्र का ' हमारा कार्य : राष्ट्र पुनर्निर्माण ' रहा जिसे माननीय किशोर जी ने संबोधित किया। उन्होंने युवाओं को राष्ट्र निर्माण की इकाई कहा तथा पुनः भारत वर्ष के गौरव को प्राप्त करने के लिए आगे आकर योगदान देने पर बल दिया। शिविर में कुल पांच जीवन चरित्र सत्र हुए जिनमें दयानंद सरस्वती , वीर शिवाजी , गुरु गोबिंद सिंह , नारायण गुरु तथा पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन पर विभिन्न वक्ताओं ने प्रकाश डाला। प्रतिदिन दो केन्द्र वर्ग हुए जिनमें विभिन्न प्रकार के खेल हुए साथ ही आज्ञा अभ्यास पर ज्यादा जोर रहा। खेलों में बतिरे की फांक , टैंक युद्ध , कब्बड़ी आदि हुए। शिविर के अंतिम दिन सभी ने 108 सूर्य नमस्कार किए जोकि बहुत प्रेरणादाई रहा। प्रेरणा से पुनरुत्थान में प्रारंभिक परिचय वाले खेलों से शुरुआत हुई। इस सत्र में एक्शन सॉन्ग भी हुए तथा अंतिम सत्र में एक क्विज आयोजित की गई जिसमें सभी ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इसी सत्र में दो आमंत्रित वक्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। कृष्ण पुरोहित जी ने "विवेकानंद केन्द्र: उत्तर - पूर्व भारत में " विषय पर अपने अनुभव साझा किए। नेशनल वार मेमोरियल के डायरेक्टर कर्नल दिग्विजय बसेरा जी ने अंतिम सत्र में केन्द्र से अपने जुड़ने के अनुभव बताए। इसी सत्र में संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने वाले "एकात्मता सोत्र" का भी प्रतिदिन पाठ हुआ।
शिविर के समापन सत्र में आमंत्रित अतिथि महाराजा अग्रसेन कॉलेज के प्रिंसिपल संजीव तिवारी जी रहे। उन्होंने अपने संदेश में युवाओं को आगे बढ़कर भारत को ऊंचा उठाने की बात कही। शिविरार्थियों के अनुभव कथन के बाद पुष्पांजलि संपन्न हुई। इसके पश्चात सभी ने क्षेत्र- वार बैठक में हिस्सा लिया, साथ ही साथ केन्द्र प्रकाशन की पुस्तकें भी सभी ने क्रय कीं। इसके पश्चात शिविरार्थी अपने अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। आयोजक समूह के पूर्ण अवलोकन बैठक के बाद शिविर औपचारिक रूप से संपन्न हुआ।
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