आध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर के दायित्ववान कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु एक कार्यशाला का आयोजन 2 अक्टूबर को प्रातः 10.00 बजे से सांय 5.00 बजे तक होटल आराम वैशाली नगर में किया गया। इस अवसर पर परिचय सत्र के अतिरिक्त कार्ययोजना से कार्य का आनन्द, दायित्व बोध, अभिव्यक्ति तथा कार्यपद्धति मूलक विकास से सबका विकास विषयों पर सत्रों का आयोजन किया गया। केन्द्र की जीवनव्रती कार्यकर्ता तथा प्रान्त संगठक रचना जानी ने कार्यपद्धति को आधार मानते हुए कार्यकर्ता के मन का एकत्व, दायित्व का चिंतन, मंथन तथा इसके माध्यम से दायित्व पूर्ण होने तक की संपूर्ण प्रक्रिया का निवर्चन किया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता का अलग-अलग स्वभाव एवं परंपरा से संबंध होने के उपरांत भी केन्द्र कार्य से जुड़ने पर वह एकीकृत भाव से कार्य करने को प्रवृत्त होता है और इसी प्रकार प्रशिक्षण प्राप्त कार्यकर्ता परिणाम मूलक कार्यकर्ता बन जाता है। उन्होंने कहा कि यदि एक सामान्य व्यक्ति गलती करता है तो उसका सीमित होता है जबकि यदि एक कार्यकर्ता से गलती होने पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। अतः हमें एक निष्ठावान, संयमी एवं धैर्यवान कार्यकर्ता बनना होगा।
इस अवसर पर अभिव्यक्ति सत्र में मार्गदर्शन देते हुए साहित्कार उमेश कुमार चैरसिया ने बताया कि प्रत्येक दायित्व सीखने का एक अवसर होता है तथा बीज से वृक्ष बनने की प्रक्रिया ही विकास कहलाती है। स्वप्रेरणा से किया गया कार्य ईश्वरीय सेवा बन जाता है अन्यथा कोई भी कार्य बोझ हो जाता है। अतः दायित्ववान कार्यकर्ता अपने दायित्व को मन से स्वीकार कर अंगीकार करें क्योंकि इस प्रकार का कर्मयोग ही हमारी सक्रियता, रचनात्मकता तथा प्रगति का आधार बनता है। उन्होंने आज सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के बीच फैल रहे वैचारिक कचरे पर भी चिंता जताते हुए कहा कि हमें एक कार्यकर्ता के रूप में समाज में आदर्श स्वरूप प्रस्तुत करने को प्रवृत्त होना होगा।
केन्द्र के विभाग प्रमुख डाॅ. स्वतन्त्र शर्मा ने दायित्व बोध सत्र में उद्बोधन करते हुए कहा कि आज हमारी आवश्यकता द्विपक्षीय कार्यक्रम है जो प्रत्येक आत्मा एक अव्यक्त ब्रह्म है तथा स्वयं में विश्वास ही ईश्वर में विश्वास है, को परिभाषित करती है। उन्होंने दायित्ववान कार्यकर्ताओं के गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि सामूहिक अनुशासन, व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय चरित्र, विजय प्राप्त करने की प्रवृत्ति, सहभागिता में परस्पर प्रेम, स्वीकारोक्ति व धैर्य में वृद्धि करने में सफलता पाना एक कार्यकर्ता का उद्देश्य होना चाहिए। कार्यकर्ताओं को कार्यपद्धति के संचालन में योग्यता के परिष्कार करने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।
इस अवसर पर केन्द्र के कार्यकर्ताओं का कार्यपद्धति के विस्तार एवं दृढ़ीकरण के लिए मंथन सत्र का आयोजन किया गया तथा मंथन प्रस्तुति भी की गई। कार्यशाला के अवसर पर विभाग संचालक सत्यदेव शर्मा तथा सह विभाग प्रमुख अविनाश शर्मा का सान्निध्य भी प्राप्त हुआ।
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