क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में योग सत्र का आयोजन : वेद का वाक्य ‘एकोह्म
बहुस्यामः’ के अनुसार एक ही ब्रह्म जो अनेक स्वरूपों में प्रकट हुआ है उसकी
अनुभूति कर लेना ही योग है। योगाभ्यास के माध्यम से समाहित अवस्था में
प्राप्त ऊर्जा से व्युत्थान अवस्था अर्थात संपूर्ण दिन में योगमय स्थिति को
पा लेना ही योग है। चित्त की वृत्तियों को नियंत्रित कर अपने आनंदमय
स्वरूप को प्रकटीकरण ही योग है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र राजस्थान
प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख डॉ0 स्वतन्त्र कुमार शर्मा ने क्षेत्रीय शिक्षा
संस्थान द्वारा अपने अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों
के लिए आयोजित दस दिवसीय योग प्रशिक्षण सत्र के दौरान व्यक्त किए। इस अवसर
पर छात्रों का विशेष सत्र लेते हुए पूर्णकालिक कार्यकर्ता सुरेश लामा ने
शिथिलीकरण, सूर्यनमस्कार एवं विभिन्न क्लिष्ट आसनों का अभ्यास कराया गया।
नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि यह सत्र 10 जून तक लगाया जा रहा है।Monday, June 12, 2017
एक में अनेक की अनुभूति है योग
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में योग सत्र का आयोजन : वेद का वाक्य ‘एकोह्म
बहुस्यामः’ के अनुसार एक ही ब्रह्म जो अनेक स्वरूपों में प्रकट हुआ है उसकी
अनुभूति कर लेना ही योग है। योगाभ्यास के माध्यम से समाहित अवस्था में
प्राप्त ऊर्जा से व्युत्थान अवस्था अर्थात संपूर्ण दिन में योगमय स्थिति को
पा लेना ही योग है। चित्त की वृत्तियों को नियंत्रित कर अपने आनंदमय
स्वरूप को प्रकटीकरण ही योग है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र राजस्थान
प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख डॉ0 स्वतन्त्र कुमार शर्मा ने क्षेत्रीय शिक्षा
संस्थान द्वारा अपने अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों
के लिए आयोजित दस दिवसीय योग प्रशिक्षण सत्र के दौरान व्यक्त किए। इस अवसर
पर छात्रों का विशेष सत्र लेते हुए पूर्णकालिक कार्यकर्ता सुरेश लामा ने
शिथिलीकरण, सूर्यनमस्कार एवं विभिन्न क्लिष्ट आसनों का अभ्यास कराया गया।
नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि यह सत्र 10 जून तक लगाया जा रहा है।
Location:
Ajmer, Rajasthan, India
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