विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी इंदौर नगर में संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर दिनांक 24 मई से 28 मई तक आयोजितकिया गया। संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर यह कार्यकर्ता के वैचारिक स्पष्टता तथा राष्ट्र निर्माण में कार्यकर्ता की भूमिका इन विषयों को लेकर आयोजित किया जाता है।
शिविर में कुल 3 बौद्धिक सत्र हुए, 1.संकार वर्ग क्यों?, 2. संस्कार वर्ग कैसे, 3. राम और कृष्ण संस्कार वर्ग के प्रणेता। शिविर में दिनचर्या सुबह 5.00 बजे जागरण व प्रातः स्मरण से प्रारम्भ कर संस्कार वर्ग का अभ्यास, एकात्मता स्तोत्र का अभ्यास व पठन किया गया। मंथन सत्र में संस्कार वर्ग से वर्त्तमान चुनोतिया का समाधान इन विषय पर चर्चा व प्रस्तुति की गयी। अभ्यास सत्र वैदिक गणित कार्यकर्ता ने लिए। नैपुण्य वर्ग में संस्कार वर्ग रचना, सूर्यनमस्कार, कथाकथन, गीत, प्रार्थना यह विषय लिए गए। सुबह और शाम शारीरिक अभ्यास में संस्कार वर्ग लिया गया, कथाकथन में श्रद्धावान नचिकेता, वीर अभिमन्यु, सीता पुरत्र लव –कुश, भक्त प्रल्हाद, स्वामी विवेकानन्द, गुरु गोविन्द सिंह इन विषयों पर हुई। प्रेरणा से पुनरुत्थान में देवासुर संग्राम, राम रावन युद्ध, भागीरथ प्रयास इन विषयों पर कथाकथन हुआ।
शिविर में समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में विवेकानन्द केंद्र प्रान्त संपर्क प्रमुख श्री अतुल सेठ जी, सरस्वती शिशु मंदिर के सचिव श्री दंडवते जी, संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर के शिविर अधिकारी आ. श्रीमती श्रद्धाताई देशपांडे ने कार्यकर्ताओं को आशीर्वचन दिए। श्री अतुल सेठ जी ने प्रशिक्षनार्थी और पालक वर्ग को बताया की परिवार में एक सामूहिक दिनचर्या होनी चाहिए, पालक स्वयं टी.वि., मोबाइल, से दूर रहे विवेकानन्द केंद्र की गतिविधिओं में भाग ले, परिवार में अनुशासन का कटाक्ष करे। शिविर अधिकारी श्रीमती श्रद्धाताई देशपांडे ने पलकों को संस्कार वर्ग के अभिभावक बने यह आहवाहन किया। समापन कार्यक्रम में इंदौर नगर से प्रबुद्धजन, शिविरार्थियो के पालक भी उपस्थित थे।
शिविर में कुल 5 गण अदम्य, अभी:, तेजस, अग्निशिखा, अम्रुत्प्राणा की रचना की गयी थी , तथा कार्यालय को निष्पक्ष, अधिकारी कक्षा को निश्रेयेस, संचालन चमू कक्षा को अभुदय यह नाम रखे गए थे। शिविर में इंदौर नगर से 34, धार नगर से 6 संचालन चमु 15 ऐसे कुल 55 कार्यकर्ता उपस्थित थे।
शिविर में कुल 3 बौद्धिक सत्र हुए, 1.संकार वर्ग क्यों?, 2. संस्कार वर्ग कैसे, 3. राम और कृष्ण संस्कार वर्ग के प्रणेता। शिविर में दिनचर्या सुबह 5.00 बजे जागरण व प्रातः स्मरण से प्रारम्भ कर संस्कार वर्ग का अभ्यास, एकात्मता स्तोत्र का अभ्यास व पठन किया गया। मंथन सत्र में संस्कार वर्ग से वर्त्तमान चुनोतिया का समाधान इन विषय पर चर्चा व प्रस्तुति की गयी। अभ्यास सत्र वैदिक गणित कार्यकर्ता ने लिए। नैपुण्य वर्ग में संस्कार वर्ग रचना, सूर्यनमस्कार, कथाकथन, गीत, प्रार्थना यह विषय लिए गए। सुबह और शाम शारीरिक अभ्यास में संस्कार वर्ग लिया गया, कथाकथन में श्रद्धावान नचिकेता, वीर अभिमन्यु, सीता पुरत्र लव –कुश, भक्त प्रल्हाद, स्वामी विवेकानन्द, गुरु गोविन्द सिंह इन विषयों पर हुई। प्रेरणा से पुनरुत्थान में देवासुर संग्राम, राम रावन युद्ध, भागीरथ प्रयास इन विषयों पर कथाकथन हुआ।
शिविर में समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में विवेकानन्द केंद्र प्रान्त संपर्क प्रमुख श्री अतुल सेठ जी, सरस्वती शिशु मंदिर के सचिव श्री दंडवते जी, संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर के शिविर अधिकारी आ. श्रीमती श्रद्धाताई देशपांडे ने कार्यकर्ताओं को आशीर्वचन दिए। श्री अतुल सेठ जी ने प्रशिक्षनार्थी और पालक वर्ग को बताया की परिवार में एक सामूहिक दिनचर्या होनी चाहिए, पालक स्वयं टी.वि., मोबाइल, से दूर रहे विवेकानन्द केंद्र की गतिविधिओं में भाग ले, परिवार में अनुशासन का कटाक्ष करे। शिविर अधिकारी श्रीमती श्रद्धाताई देशपांडे ने पलकों को संस्कार वर्ग के अभिभावक बने यह आहवाहन किया। समापन कार्यक्रम में इंदौर नगर से प्रबुद्धजन, शिविरार्थियो के पालक भी उपस्थित थे।
शिविर में कुल 5 गण अदम्य, अभी:, तेजस, अग्निशिखा, अम्रुत्प्राणा की रचना की गयी थी , तथा कार्यालय को निष्पक्ष, अधिकारी कक्षा को निश्रेयेस, संचालन चमू कक्षा को अभुदय यह नाम रखे गए थे। शिविर में इंदौर नगर से 34, धार नगर से 6 संचालन चमु 15 ऐसे कुल 55 कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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