Wednesday, June 28, 2017

योग दिवस बिलासपुर में

विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा बिलासपुर द्वारा विश्व योग दिवस के उपलक्ष में 21 जून 2017 को संध्या 5:30 से 7:00 बजे तक योग अभ्यास एवं परिचर्चा का आयोजन केंद्र कार्यालय शांति नगर बिलासपुर में किया गया था. जिसमें प्रन्द्रह दयित्ववान कार्यकर्ताओ की उपस्थिति रही ।

योगाभ्यास का प्रारंभ विवेकानंद केंद्र की गौरवशाली परंपरा के अनुसार 3 ओंकार एवं सहना ववतु से हुआ, प्राणायाम का अभ्यास कराया गया । इसमें विभिन्न लोगों ने भाग लिया केंद्र के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं विभाग संपर्क प्रमुख डॉक्टर उल्हास वारे ने योग के चार प्रकारों को बताया कर्मयोग, ज्ञान योग, भक्ति योग तथा क्रिया योग चारों प्रकार उनकी सुव्यवस्थित तथा सारगर्भित व्याख्या के उपरांत उन्होंने कहा अपने अंदर छुपी शक्तियों को उभारने के लिए इन चारो का उचित समन्वयन आवश्यक है तथा यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है । व्यवस्था प्रमुख प्रभाकर लिडबिडे जी ने कहा विद्यार्थियों के लिए योग अत्यंत लाभप्रद है, इससे विद्यार्थियों की एकाग्रता पड़ती है तथा उनकी कार्य कुशलता में वृद्धि होती है इसलिए हर विद्यार्थी को एक घंटा योग अवश्य करना चाहिए । संचालक एडवोकेट प्रतीक शर्मा जी ने बताया वर्तमान में योग का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है इसका प्रमुख कारण यही है कि योग करने से सिर्फ फायदे ही होते हैं इसका कोई भी साइड इफेक्ट अथवा नुकसान नहीं है इसलिए इसकी जनसामान्य में स्वीकार्यता बढ़ गई है । विस्तार प्रमुख डॉक्टर संजय आयदे  जी ने कहां के लोग भारत की ही देन है एवं विश्व स्तर पर इसके स्वीकार्यता हमारे लिए गर्व का विषय है आज लगभग 200 देशों में योग किया गया, विदेशी न्यूज चैनल पर भी योग करते हुए लोग दिखाई थी जो कि इसकी पुष्टि करता है । विस्तार प्रमुख डॉक्टर धनंजय मिश्रा ने वृक्ष का उदाहरण देते हुए योग की महत्ता का प्रतिपादन किया तथा कहा जिस प्रकार का वृक्ष के लिए जड़ अत्यंत महत्वपूर्ण है उसी प्रकार मनुष्य के शरीर के लिए उसका मस्तिष्क में अत्यंत महत्वपूर्ण है , उन्होंने विज्ञान की भाषा में भी विभिन्न चीजों को समझाये । योग लेते समय ही व्यवस्था प्रमुख आशुतोष शुक्ल ने योग में आवश्यक सावधानी बताते हुए योग को व्याधि से समाधि की यात्रा कह कर   विभिन्न रोगों में इससे होने वाले फायदों के बारे में बताया तथा योग रोग उपचार का साधन मात्र ना होकर एक "जीवन पद्धति" होने की बात कही ।

सर्वे भवंतु सुखिन: के साथ समापन हुआ, तत्पश्चात केंद्र प्रार्थना कर के लोग अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान किये । 

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