Friday, June 24, 2016

यम, नियम के पालन के बिना ‘योग’ पूरा नहीं होता

International Day of Yoga Nagpur Maharashtra 2016अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र द्वारा सामूहिक योगाभ्यास का आयोजन लक्ष्मीनगर स्थित सुयोग 
मंगल कार्यालय में किया गया। इस आयोजन में कुल 88 लोगों ने सामूहिक योगाभ्यास किया।
इस दौरान योग के मर्म को समझाते हुए विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा नागपुर के संचालक तथा नागपुर मेडिकल कॉलेज के सुप्रिटेंडेंट एवं प्रसिद्ध सर्जन डॉ.जगदीश हेडाऊ ने कहा कि महर्षि पतंजलि ने “अष्टांग योग” की संकल्पना रखी थी। यम, नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि, इन सबको मिलाकर पूर्ण योग बनता है, इसे ही उन्होंने अष्टांग योग कहा है। लेकिन वर्तमान में लोग केवल आसन और प्राणायाम को ही योग कहने लगे हैं। डॉ.हेडाऊ ने कहा कि यम, नियम का पालन एक योगी के लिए अनिवार्य माना गया है, इसलिए इसके पालन के बिना पूरा योग नहीं हो सकता।
पातंजल योग सूत्र में निहित सन्देश की चर्चा करते हुए डॉ.हेडाऊ ने कहा कि "युज्यते अनेन इति योगः" यह सूत्र बताता है कि योग जुड़ने की एक प्रक्रिया है, जो व्यक्ति को समष्टि से, आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। योग दर्शन में ‘यम’ पांच प्रकार के हैं – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। इसी तरह पांच नियम भी हैं, शौच (शरीर और मन की शुद्धि), संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर-प्रणिधान। ये यम और नियम योग दर्शन में बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं। लेकिन आज परिस्थिति ऐसी है कि लोग अपनी सुन्दरता निखारने और स्वास्थ्य लाभ के लिए योगासन और प्राणायाम करते हैं। ऐसे अनगिनत लोग हैं जो रोगी होने के बाद योग की ओर मुड़ते हैं।
डॉ.हेडाऊ ने कहा कि आजकल अभिनेत्रियों, मॉडल्स द्वारा किए गए योगा टिप्स की सीडी खरीदते हैं। अभिनेत्रियां आदि अपने फिटनेस बनाए रखने के लिए योग करती हैं, ऐसा वे बताती भी हैं। लोग उनसे आकर्षित होते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शारीरिक फिटनेस तो जरुरी है ही, पर योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य और सुन्दरता तक सीमित न करें। यम, नियम का पालन अवश्य करें, क्योंकि जो लोग केवल शरीर के लिए योगासन करते हैं वो भौतिक तृष्णाओं में फंसे रहते हैं, कई बार अपराध भी कर जाते हैं। इसलिए योग का उद्देश्य समझना होगा। डॉ.हेडाऊ ने कहा कि योग से शरीर और मन की शुद्धि तो करना ही है, पर यह सब किसलिए? योगी बनना है राष्ट्र के उत्थान के लिए, इसलिए हम गीत गाते हैं,- “बने हम राष्ट्र के योगी करेंगे ध्यान भारत का।”
इससे पहले कार्यक्रम की शुरूवात तीन ओमकार और प्रार्थना से हुई। इसके बाद कुमारी ऋचा अग्रवाल ने “बनें हम राष्ट्र के योगी, करेंगे ध्यान भारत का” गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना श्रीमती दीपाली अग्रवाल ने किया तथा योगाभ्यास का संचालन श्रीमती अर्चना लपालकर तथा डॉ.हेडाऊ ने किया। इस दौरान संस्कार वर्ग के वर्ग शिक्षक कुमारी श्रुति टोळ तथा वैदेही पाठक एवं वेदांग पाठक ने मंच पर योगासन का प्रात्यक्षिक किया।
मंजूषाताई लागु का अभिनन्दन व सत्कार, 2 वर्ष अरुणाचल में देंगी सेवा
इस अवसर पर डॉ.हेडाऊ ने श्रीमती मंजूषाताई लागु (57) का पुष्पगुच्छ तथा भेंटवास्तु देकर सत्कार किया। उल्लेखनीय है कि मंजूषाताई सामाजिक कार्यों में रूचि रखती हैं। नेत्रहीनों के अध्ययन की पुस्तकों का रिकार्डिंग करने का कार्य वह वर्षों से करती आई हैं। सेतु तथा निसर्गायन मंडल से वे जुडी हुई हैं। गत वर्षभर से वे विवेकानन्द केन्द्र से जुडी हुई हैं। उन्होंने कन्याकुमारी में विवेकानन्द केन्द्र द्वारा आयोजित योग शिविर तथा आध्यात्मिक शिविर में प्रशिक्षण लिया है। डिब्रूगढ़ (असम) में 15 दिवसीय मेडिकल कैम्प में उन्होंने अपनी सेवा दी है। विभिन्न शिविरों में विवेकानन्द केन्द्र के सेवाकार्यों का परिचय पाकर उन्होंने संकल्प लिया कि वे आगामी 2 वर्ष अरुणाचल प्रदेश में सेवा देंगी। उनके 2 वर्षीय वानप्रस्थी जीवन राष्ट्र को अर्पित करने पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर उनका सत्कार किया गया और उन्हें राष्ट्रकार्य हेतु शुभकामनाएं दी गई।

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