सम्पूर्ण शिविर का विषय "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' इसके आधार पर प्रत्येक दिवस के विषय क्रमशः देवभूमि भारत: स्वाभिमान, वीरभूमि भारत: साहस , ऋषियों की भूमि भारत: संगठन , त्याग भूमि भारत : समर्पण रखा गया था । शिविर का परिचय सत्र आ.शिवशंकर प्रसाद जी नगर संचालक, रांची नगर एवं आ. निर्मला दीदी, सेवाव्रती कार्यकर्ता एवं शिविर दायित्व शिविर प्रमुख जी का आशीर्वचन से हुआ।
शिविर के प्रत्येक दिवस के बौद्धिक सत्र का विषय - राष्ट्र भक्त स्वामी विवेकानन्द, अनुशासन(व्यक्तिगत,सामुहिक) , राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां,संगठित कार्य की आवश्यकता, कार्यपद्धत्ति/कार्यप्रणाली, केन्द्र प्रार्थना, कार्यकर्ता गुण विशेष विषयों पर मार्गदर्शन दिया गया।
नैपुण्य वर्ग का विषय - हमारे उत्सव, संस्कार वर्ग , आनंदालय, स्वराज 75 पर विशेष रूप से कार्यकर्ताओं के समक्ष स्पष्ट किया गया।
शारीरिक अभ्यास - योगाभ्यास में प्रातः योग वर्ग एवं संध्या में संस्कार वर्ग की चर्या का आनंद लिया। रात्रिकालीन सत्र प्रेरणा से पुनरुथान में विशेष झारखंड के अज्ञात वीर क्रांतिकारी क्रमश: ठाकुर विश्वनाथ साहदेव, सिगनीदई, भाजोहरी महतो एवं फुलो और झानो मुर्मू इन सभी का योगदान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्राता संग्राम के आंदोलन में रहा।
शिविर की रचना तीन गणों1. ठाकुर विश्वनाथ साहदेव
2. भजोहरी महतो
3. सिगनीदई
में कि गई इन गणों का एवं सम्पूर्ण शिविर स्थान का नामकरण भी अज्ञात वीर क्रांतिकारी के नाम और जन्मस्थान के आधार पर रखा गया।
शिविर में आहुति सत्र में प्रान्त संगठक आ.मुकेश कीर जी द्वारा मार्गदर्शन किया गया। आहुति सत्र आव्हान में ९ कार्यकर्ताओं ने समयदान का संकल्प लिया।
शिविर में कुल उपस्थिति 19 की रही जिसमें सहभागी भाई -12 ,सहभागी बहन:-7 एवं संचालन और व्यवस्था: 14 नगर सह उपस्थिति निम्लिखित रही - रांची -13, जमशेदपुर - 3 , चांडिल - 3