Tuesday, October 13, 2020

ऑनलाइन विमर्श विवेकानन्द शिलास्मारक "पत्थर में प्रगटे प्राण"


  दिनांक 2 सितंबर,2020 विवेकानन्द शिला स्मारक के 50वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी,शाखा-रांची द्वारा विवेकानन्द शिला स्मारक "पत्थर में प्रकटे प्राण" विषय पर ऑनलाइन विमर्श का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत तीन ओंकार प्रार्थना व गीत से हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉo पुरुणेंदु शेखर दास,सह संचालक, डिब्रूगढ़ विभाग, आसाम प्रांत,विवेकानंद केंद्र थे। मुख्य वक्ता के तौर पर माo  प्रवीण दाभोलकर, अखिल भारतीय संयुक्त महासचिव, विवेकानंद केंद्र थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉo पुरुणेंदु शेखर दास ने कहा कि विवेकानंद शिलास्मारक इस देश की धरोहर है। विवेकानंद शिलास्मारक और विवेकानंद केंद्र भारत को विजयी बनाने के लिए कार्यरत है।

कार्यक्रम में देश विदेश से लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता माननीय प्रवीण दाभोलकर जी ने कहा  कि

    विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन, दिल्ली ओर विवेकानंद केंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ कल्चर, गौहाटी भारत के निर्माण के पथ पर कार्यरत है।
    "Finding the opportunity in the challenging situation" का विचार रांची नगर के कार्यकर्ताओ ने किया और आज हम इस माध्यम से मिल रहे है।
    विवेकानन्द शिल्स्मारक का उद्घाटन उस समय के वर्तमान राष्ट्रपति जी के द्वारा हुआ।
    स्वामी ने हमसा बताया की "मनुष्य निर्माण के द्वारा राष्ट्र पुनरूथान" एवं "शिव भावे जीव सेवा" भारत के पुनर्निर्माण के लिए दो मार्ग।
    विवेकानन्द शिला स्मारक की निर्मिती भारतवासियों के आत्मविश्वास को बढाने में बड़ी भूमिका रही।
    श्रोताओं के प्रश्नों मा० एकनाथजी, संघ के सरकरावाहा रहे लेकिन फिर विवेकानन्द केंद्र की आवश्यकता क्यों पारी,  जबाब देते उन्होनों कहा की "जातो मत ततो पथ" ध्येय के प्राप्त करने के लिए जितने प्रकार के लोग के  विचारो होगे उतने मार्ग उपलब्ध है, यही हमरी संस्कृति की परम्परा और विशेषता है।  


कार्यक्रम के अंत में 15 मिनट के प्रश्नोत्तरी के द्वारा श्रोताओं के विभिन्न प्रश्नों का उत्तर व संदर्भ समझाया गया। कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र के साथ हुआ। ऑनलाइन विमर्श कार्यक्रम में लगभग 80 लोगो ने भाग लिया।




No comments:

Post a Comment