Thursday, July 9, 2020

ऑनलाइन प्राणायाम सत्र मध्यप्रांत

केन्द्र की प्रांत चमु द्वारा कोरोना महामारी (कोविड-19) अवधि में 9 एवं 23 मई 2020 को बैठकें आयोजित कर निर्णय लिया गया कि इस अवधि में संपूर्ण भारत में लॉकडाउन के कारण सभी व्यक्ति अपने परिवार सहित अपने घरों में ही रहकर  सामान्य दिनचर्या का निर्वहन करे, फलस्वरूप उनमें  रोगनिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा दिनचर्या व्यवस्थित कर सेवा, त्याग और समर्पण के विचार राष्ट्रोन्मुखी बनाने के उद्देश्य से  केन्द्र द्वारा नियोजित ऑनलाइन कार्यक्रमों यथा पाक्षिक विमर्श, प्रांत कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर, उठो जागो युवा प्रतियोगिता, परिवारों में अभिव्यक्ति कार्यक्रम के साथ ही ऑनलाइन प्राणायाम सत्र नियोजित कर आयोजन किया जाए। 

(1 जून से 14 जून 2020)

प्राणायाम सत्र के आयोजन हेतु पॉच कार्यकर्ताओं की एक संचालन चमु गठित की गई जिसके द्वारा नियमित रूप से प्रतिदिन के अभ्यास का नियोजन, संचालन तथा अनुवर्तन किया। प्रतिदिन के अभ्यास का प्रदर्शन चमु से प्रथक कार्यकर्ता से
 कराया गया। प्राणायाम सत्र के प्रचार प्रसार हेतु प्रांत स्तरीय कोर टीम जिसमें प्रांत चमु, सभी विभाग प्रमुख/ संगठक व संपर्क प्रमुख को सम्मिलित किया। प्रतिभागियों को दूरभाष, सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत संपर्क कर ऑनलाइन मिस्ड कॉल से
पंजीयन की सुविधा प्रदान की गई। इस सुविधा के माध्यम से सत्र हेतु देश विदेश से कुल 192 प्रतिभागियों ने अपना पंजीयन कराया। इनमें से एक समय में अधिकतम 90 प्रतिभागियों ने प्राणायाम सत्र में उपस्थित रहकर नियमित अभ्यास किया। सत्र की अवधि में ही प्रतिभागियों को व्यक्तिगत जानकारी प्रेषित करने हेतु एक पंजीयन प्रपत्र भरकर प्रेषित करने का अनुरोध किया गया, फलस्वरूप 84 प्रतिभागियों ने यह प्रपत्र भरकर प्रेषित किया जिसे विभागसः अनुवर्तन हेतु प्रेषित किया गया। प्रतिभागियों को भविष्य के कार्यक्रमो की जानकारी भी इसी आधार पर देने की सूचना अंतिम सत्र के दिन दी गई।

प्राणायाम सत्र में भूमिका, मंत्र, महत्व/उपयोगिता के साथ ही शिथिलीकरण व्यायाम, क्रियाओं में कपालभांत, भस्रिका के बाद प्राणायाम में खण्डीय श्वसन, अनुलोम विलोम, सूर्यभेदन, चन्द्रभेदन, नाड़ीशुद्धि, शीतली, शीतकारी, सदंत तथा भ्रामरी का अभ्यास अनिवार्य सूचनाओं के साथ कराया गया । उसके पश्चात् प्रतिदिन सैद्धांतिक पक्ष में अष्टांग योग, केन्द्र परिचय के माध्यम से अखण्ड मण्डल, जीवन ध्येय, प्राणायाम: जीवन शक्ति आदि की संकल्पना रखने के साथ ऊॅंकार उच्चारण, शंकासमाधान, आगामी सूचनाओं के बाद शांति मंत्र के साथ सत्र का समापन किया जाता।

सैद्धांतिक पक्ष में प्रथम दिवस प्राणायाम का महत्व एवं संकल्पना - वक्ता श्रीमती सरोज अग्रवाल दीदी प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख, द्वितीय दिवस योग, युज्यते अनेन इति योगः, आनंद मीमांसा तथा योगश्चित्तवृत्ति निरोधः-श्री भंवरसिंह राजपूत प्रांत प्रमुख, तृतीय दिवस मनः प्रशमनोमायः योग इत्याभिधीयते, योगः कर्मसु कौशलम्-श्री अतुल गभने विभाग संगठक इन्दौर, चतुर्थ दिवस यम -श्री अतुल सेठ प्रांत संपर्क प्रमुख, पंचम दिवस नियम-श्री मनोज गुप्ता भोपाल विभाग संपर्क प्रमुख, षष्ठम दिवस आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार-श्री गोविन्द खाण्डेकर प्रांत कार्यालय प्रमुख, सप्तम् दिवस धारणा, ध्यान, समाधि-श्री विभाष उपाध्याय विभाग संचालक इन्दौर, अष्टम दिवस अखण्ड मण्डल,केन्द्र परिचय-श्री धर्मेन्द्र विपट इन्दौर विभाग संपर्क प्रमुख, नवम् दिवस जीवन ध्येय-सुश्री रचना दीदी प्रांत संगठक तथा दशम् एवं अंतिम दिवस प्राणायाम:जीवन-शक्ति की संकल्पना समापन सत्र के रूप में माननीय श्री हनुमंतराव जी अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी द्वारा रखते हुए सभी का मार्गदर्शन किया।

माननीय श्री हनुजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राणायाम एक अद्भुत शक्ति है जो जीवन में प्राण शक्ति को ऊर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया है। महर्षि पतंजलि ने प्राणायाम को अष्टांग योग में उद्धृत किया है। उन्होंने बताया कि सामान्यतः एक भ्रम है कि यम, नियम के बाद ही प्राणायाम आता है परन्तु सूक्ष्मता से शास्त्रों में देखते हैं तो प्राणायाम प्रत्येक जीव में एक आत्मतत्व है, ऊर्जा है और इस एकत्व की शक्ति के संचलन को ही मूल रूप से प्राण कहा गया है। प्राण मात्र एक वायु नहीं है  अपितु यह प्रत्येक कण में विद्य़मान है, अभिप्राय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति एकदूसरे से सम्बद्ध है, जुड़ा हुआ है और शरीर में होने वाले स्पंदनों का मूल कारण भी प्राण ही है। यह केवल श्वांस लेने छोड़ने का व्यायाम ही नहीं है अपितु प्रत्येक शरीर में संचालित क्रियाऐं चाहे वे दृश्य हों या अदृश्य, सभी प्राण की शक्ति से संचालित होती हैं। श्री हनुजी ने आगे कहा कि यह शक्ति निरंतर प्रवाहित होती रहती है, यदि अनुभव करें तो हम स्वयं को इस चराचर विश्व से जुड़ा हुआ पाते हैं। हम अनुलोम विलोम, नाड़ी शुद्धि प्राणायाम करते हैं यह केवल नाड़ी नहीं है अपितु यह प्रत्येक प्राणी में प्राण स्वरूप है। यह शक्ति भौतिक, रसायनिक प्रत्येक अवस्था में अपरिवर्तित रहती है। हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं वह स्थूल शक्ति के रूप में होता है
परन्तु वह अन्दर जाकर वह प्राण शक्ति के रूप में रूपांतरित हो जाता है। यही प्राण शक्ति प्राणायाम के द्वारा हमारी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है। विवेकानंद केन्द्र में पूरक रेचक का अभ्यास कराया जाता है कुम्भक का नहीं क्योंकि साधक को प्रशिक्षक की उपस्थिति के बिना इसका नियमित अभ्यास नहीं करना चाहिए। प्राणायाम के नियमित अभ्यास के द्वारा प्राणशक्ति के साथ हम शरीर, मन के द्वारा श्रष्टि से जुड़ते हैं और इसी के साथ जब हम मानसिक जप करते हैं तो हम जीरो  डिस्टेंसिंग की ओर बढ़ते हैं। 

श्री हनुजी के मार्गदर्शन पश्चात् प्रांत के सह-संचालक श्री रामभुवनसिंह कुशवाह जी द्वारा सभी अभ्यागतों, प्रतिभागियों एवं उनके परिवारजनों तथा केन्द्र कार्यकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके उपरांत शांति मंत्र के साथ सत्र का समापन हुआ। समापन सत्र में केन्द्र के पूर्व आव्हान पर सभी 90 प्रतिभागी अपने परिवार सहित सम्मिलित हुए। प्रतिभागियों के परिवारजनों के अतिरिक्त प्रत्यक्ष उपस्थिति 137 रही। प्राणायाम सत्र में अमेरिका से प्रवासी भारतीय भी सहभागी हुए। अनुभव कथन में श्री कैलीश त्यागी बिलासपुर, श्रीमती सीमा मित्तल अमेरिका, श्री संजय मनकड़, श्री उल्हास वारे जी आदि प्रतिभागियों द्वारा कोरोनाकाल में प्राणायाम से उनकी दिनचर्या व्यवस्थित होना बताया। समापन सत्र में माननीय श्री किशोर जी टोकेकर संयुक्त महासचिव, श्री रूपेश माथुर जी प्रांत संगठक अरूणाचल, श्री रवि नायडू जी प्रांत संगठक उड़ीसा, प्राचार्य विवेकानंद केन्द्र विद्यालय बदरपुर एवं श्री हार्दिक मेहता जी आईटी संगठक विशेष रूप से उपस्थित रहे।

प्राणायाम सत्र की अवधि में केन्द्र की ओर से प्रतिभागियों का परिपोषक, अरूणाचल बन्धु परिवार तथा केन्द्र भारती, युवा भारती पत्रिका की सदस्यता ग्रहण करने हेतु आव्हान किया गया। फलस्वरूप कुल 18 प्रतिभागियों द्वारा सदस्यता ग्रहण की गई।

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