राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण आज की आवश्यकता है। बालकों में संस्कारों का सिंचन कर उनमें राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण किया जा सकता है। उक्त विचार व्यक्त करते हुए डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना (आरएसएस प्रान्त सहसंघचालक) ने कहा कि बिना पराक्रम के कुछ भी प्राप्त नहीं होता। डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा रायपुर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आवासीय "संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर" के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर नगर के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन डॉ.विवेक चौबे तथा केन्द्र के नगर संचालक मावजीभाई पटेल मंच पर विराजमान थे।
डॉ.पूर्णेन्दु ने कहा कि धर्म प्रत्येक मनुष्य के हृदय में विद्यमान है, इसी के बल पर व्यक्ति उचित-अनुचित, सही-गलत के बीच के अंतर को समझता है। उन्होंने कहा कि आज्ञापालन और अनुशासन यदि हमारे जीवन में है तो हम निश्चित रूप से सफल होंगे। उन्होंने सद्गुरु कबीर साहब, चाणक्य, गुरु गोविन्द सिंह तथा स्वामी विवेकानन्द के जीवन प्रसंग व विचारों के आधार पर नैतिक मूल्यों के महत्व को बताया।
इस अवसर पर डॉ.विवेक चौबे ने कहा कि संस्कार हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है। हमारी संस्कृति हमें संस्कारित करती है। जब हम पूरी निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करेंगे तो हमारी प्रतिभा निखरेगी। हम हर कार्य में निपुण होंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिभावान व चरित्रवान लोगों से ही राष्ट्र का विकास होता है।
इससे पूर्व "राष्ट्र की जय चेतना का गान वन्दे मातरम्" यह शिविर गीत प्रस्तुत किया गया। शिविर की प्रस्तावना केन्द्र के सहनगर प्रमुख रूपेश अवधिया ने रखी तथा संचालन नमन शुक्ला ने किया।
डॉ.पूर्णेन्दु ने कहा कि धर्म प्रत्येक मनुष्य के हृदय में विद्यमान है, इसी के बल पर व्यक्ति उचित-अनुचित, सही-गलत के बीच के अंतर को समझता है। उन्होंने कहा कि आज्ञापालन और अनुशासन यदि हमारे जीवन में है तो हम निश्चित रूप से सफल होंगे। उन्होंने सद्गुरु कबीर साहब, चाणक्य, गुरु गोविन्द सिंह तथा स्वामी विवेकानन्द के जीवन प्रसंग व विचारों के आधार पर नैतिक मूल्यों के महत्व को बताया।
इस अवसर पर डॉ.विवेक चौबे ने कहा कि संस्कार हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है। हमारी संस्कृति हमें संस्कारित करती है। जब हम पूरी निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करेंगे तो हमारी प्रतिभा निखरेगी। हम हर कार्य में निपुण होंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिभावान व चरित्रवान लोगों से ही राष्ट्र का विकास होता है।
इससे पूर्व "राष्ट्र की जय चेतना का गान वन्दे मातरम्" यह शिविर गीत प्रस्तुत किया गया। शिविर की प्रस्तावना केन्द्र के सहनगर प्रमुख रूपेश अवधिया ने रखी तथा संचालन नमन शुक्ला ने किया।
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