माननीय मोहनराव जी भागवत ने अपने उदबोधन में
विवेकानन्द जी के जीवन पर बोलते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी की जो
दृष्टि थी तथा जो उन्होंने बताया वही कार्य आज संघ कर रहा है।
उन्होंने बताया कि स्वामी जी ने कभी जाति, धर्म, समुदाय के आधार पर मनुष्य
में भेद नहीं किया। स्वामी जी के विचारों से अवगत करवाते हुए उन्होंने
बताया कि आपमें शक्ति होना बहुत आवष्यक है, सनातन धर्म में होते हुए भी
स्वामी जी ने लोगों से कहा था कि गीता पढ़ने से अच्छा है फुटबाल खेलना,
जिससे शरीर बलषाली हो। उनका मानना था कि कमजोर राष्ट्र कभी सर उठाकर नहीं
खड़ा हो सकता इसलिए दुनिया के सामने अपने को सक्षम बनाने के लिए हमें शक्ति
अर्जित करनी चाहिए। उनका यह भी मानना था कि हम भटकी हुए दुनिया के साथ
खड़े होने के लिए नहीं हैं अपितु भटकी हुए दुनिया को सही मार्ग व दिषा देने
के लिए बने हैं। उन्होंने बताया आज की सभी समस्याओं का हल व्यक्ति के
संकल्प पर टिका है, बुराइयों को समाप्त करने की पहल मैंने करनी है, अपने
परिवार से करनी है, ऐसा संकल्प सभी लेते हैं तो कोई समस्या नहीं रहेगी।
उन्होंने बताया कि विवेकानन्द जी की 150वीं वर्षगांठ का यह वर्ष देष के
उत्थान तथा दुनिया को दिशा देने का महत्वपूर्ण वर्ष होगा तथा भारत जागो
विश्व जगाओ के उदगोष को सार्थक करेगा।
Thursday, January 17, 2013
स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह का भव्य रूप से उदघाटन
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