मंच से गायत्री परिवार के प्रमुख डा। प्रणव पण्डया ने
सम्बोधित किया। उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का जन्म गौरव महसूस
कराता है। इस देश की आजादी का आधार स्वामी विवेकानन्द बने
लेकिन सांस्कृतिक आजादी नहीं मिल पायी। स्वामी जी ने आशावाद जगाया,
अद्वैतवाद को पुनः जागृत किया। उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द युवाओं के
‘रोल माँडल’ होने चाहिए। जीवन से नकारात्मकता हटाना ही सन्यास है। दिषाहीन
युवा नकारात्मक देश खडा करता है। स्वामीजी के जीवन और संस्कार में
सकारात्मकता के अलावा कुछ नहीं था। स्वामी विवेकानन्द को हरेक के जीवन में
उतारना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिये। भारत ही विश्व को दिशा दे सकता है।
हमारा लक्ष्य अपने ज्ञान से लोगों को दिशा देना होना चाहिये। अब वह समय आ
रहा है जब लोग हमें निहारेंगे, उस समय के लिए हम तैयार रहें।
माता अमृतानन्दमयी देवीजी (अम्मा)
ने अपने सन्देश में कहा कि स्वामी विवेकानन्द महान कर्मयोगी रामकृष्ण
परमहंस के ऐसे पुष्प थे जिन्होने सबको सुगन्धित किया। आध्यात्मिकता केवल
जंगल में सन्यास नहीं, समाज का जीवन सुधारना है। समस्त समाज को उठाने का
आधार सही शिक्षा है उसके लिए उचित शिक्षा पद्धति की अपेक्षा है।
कार्यक्रम के अन्त में लालकिले से
स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन को दर्शाती भव्य झांकियां निकाली गई जिसमें
स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती के उद्देश्यों को दर्षाती पांचों आयामों
(युवा, प्रबुद्ध भारत, संवर्धिनी, ग्रामायण और अस्मिता) से जुडी झांकियां
भी प्रस्तुत की गई। लालकिले से भव्य शोभायात्रा चान्दनी चैक, खारी बाउली,
लाहौरीगेट, नाँवल्टी सिनेमा, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेषन से होती हुई वापस
लालकिले पर समाप्त हुर्ह। शोभायात्रा का स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा से
स्वागत किया। शोभायात्रा में बडी संख्या में स्कूली बच्चों, महिलाओं तथा
नागरिकों ने भाग लिया।
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