Tuesday, October 28, 2025

"भारतीय संस्कृति" पुस्तक विमोचन कार्यक्रम - मध्य प्रांत

 

विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारीमध्य प्रांत के तत्वावधान में शीतला सहाय सभागारकैंसर चिकित्सालय में विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष "पद्मश्री सुश्री निवेदिता भिड़े द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय संस्कृक्तिः चुनौतियां एवं सम्भावनायें के हिंदी संस्करण का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि के रूप में वैचारिक प्रबोधन हेतु पद्मश्री सुत्री निवेदिता भिड़े स्वयं उपस्थित रहीं। भारतीय संस्कृतिः चुनौतियां एवं सम्भावनायें की प्रस्तावना ख्यातिलब्ध विचारक एवं सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट जे. साई दीपक द्वारा लिखी गयी ।
कार्यक्रम में रामकृष्ण मिशन आश्रम ग्वालियर के सचिव स्वामी कृष्णामृतानंद महाराज की गरिमामयी उपस्थिति एवं श्री प्रहलाद सबनानीविभाग संचालक (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)डॉ बी. आर. श्रीवास्तवसंचालक (कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान)श्री भंवर सिंह राजपूतमध्य प्रांत प्रकल्प प्रमुख (विवेकानंद केंद्र) का विशिष्ट आतिथ्य लाभ प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। पद्मश्री सुत्री निवेदिता भिड़े दीदी ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति के समक्ष बाह्य चुनौतियों से भी बड़ी चुनौती आंतरिक है। भारत के युवाओं की अभिरुचि भारतीय संस्कृति की ओर उन्मुख करने का प्रयास बहुत न्यून हैं इसलिए अन्य संस्कृतियां उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने का बढ़ चढ़ कर प्रयास कर रहे हैं। निवेदिता दीदी ने महर्षि अरविंद को उद्धृत करते हुए कहा कि सनातन धर्मसनातन संस्कृति ही सच्ची राष्ट्रीयता है। यदि सनातन धर्मसनातन संस्कृति पुष्ट होती है तो भारत राष्ट्र पुष्ट होता है। भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्रासंगिक संस्कृक्ति है। आज जिस तरह विभिन्न विचारों का हमारी युवा पीढ़ी पर आक्रमण हो रहा है उसके परिप्रेक्ष्य में हमें भारतीय संस्कृति को प्रस्तुत करना होगा। भारत की विशेषता है एकत्व दृष्टि। भारत की इस एकत्व दृष्टि की संपूर्ण विश्व को अपने अस्तित्व की रक्षा एवं सामाजिक शांति के लिए आवश्यकता है। एक ही आत्म चैतन्य भिन्न भिन्न रुपों में प्रकट हुआ है। निवेदिता दीदी ने कहा कि इस एकत्व दृष्टि के प्रकाश में ही सामाजिक एवं वैश्विक विभिन्नता को आत्मसात किया जा सकता है।

पूरा विश्व विघटनकारी शक्तियों से संघर्ष कर रहा है। सब अपने ही मार्ग को सत्य सिद्ध करने के प्रयास में विश्व कामानवता का ही विनाश करने को तत्परता से लगे हुए हैं। धर्मांतरण एवं आतंकवाद विविधता के अस्वीकार्य से उत्पन्न हुए हैं। भारतीय संस्कृति विविधता में एकत्व को देख पाती है।
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारीग्वालियर विभाग संचालक अजय शर्मा ने विवेकानंद केंद्र का परिचय देते हुए बताया कि 1972 से माननीय एकनाथ जी द्वारा स्थापित विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी अपनी 250 से अधिक शाखाओं एवं दस हजार से अधिक दायित्ववान कार्यकर्ताओं द्वारा 26 प्रदेशों एवं चार केंद्र शासित प्रदेशों में संस्कार शिविरोंस्वाध्याय एवं योग वर्गोंयुवा प्रेरणा एवं व्यक्तित्व विकास शिविरों के माध्यम से मनुष्य निर्माण से राष्ट्र निर्माण के पावन कार्य में रत है। पुस्तक भारतीय संस्कृतिः चुनौतियां एवं सम्भावनायें की सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट जे. साई दीपक द्वारा लिखी गयी प्रस्तावना का वाचन प्रहलाद सबनानीविभाग संघ संचालक (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) द्वारा प्रस्तुत किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन एवं आशीर्वाद रामकृष्ण मिशन आश्रम ग्वालियर के सचिव स्वामी कृष्णामृतानंद महाराज द्वारा दिया गया। महाराज ने बताया कि विदेशी संस्कृति से प्रभावित माता पिता अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति से विमुख करते हैं। विवेकानंद केंद्र इस दिशा में प्रभावी कार्य कर रहा है। स्वामी कृष्णामृतानंद महाराज ने आशा व्यक्त की कि निवेदिता दीदी को पुस्तक भारतीय संस्कृतिः चुनौतियां एवं सम्भावनायें सनातन संस्कृक्ति से समाज को सही दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करेगी। डॉ बी. आर. श्रीवास्तव जीसंचालक (कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान) ने भावपूर्ण स्वागत करते हुए कवि हरिओम पंवार को उद्धृत कहा कि ये भारत कभी जगत गुरु था.. लेकिन जाने अनजाने क्या भूलें कर डाली जो हमने आजादी खोई थी। मिलिट्री पावर एवं आर्थिक शक्ति से देश संस्कारवान नहीं बनताइसीलिए विवेकानंद केंद्र जैसे संगठनों की आवश्यकता पड़ती है।

कार्यक्रम में सुधि श्रोताओं को रामकृष्ण मिशन आश्रम ग्वालियर के सचिव स्वामी कृष्णामृतानंद जी महाराज का आशीर्वाद स्वरूप उद्बोधन एवं श्री प्रहलाद सबनानीविभाग संघ संचालक (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)डॉ बी. आर. श्रीवास्तव जीसंचालक (कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान)श्री भंवर सिंह राजपूत जीमध्य प्रांत प्रकल्प प्रमुख (विवेकानंद केंद्र) का विशिष्ट वैचारिक आतिथ्य लाभ प्राप्त हुआ। धन्यवाद ज्ञापन भंवर सिंह राजपूतमध्य प्रांत प्रकल्प प्रमुख (विवेकानंद केंद्र) द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन संजीव सम्भरिया ने किया।

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