स्वामी विवेकानंद ने कहा है भारत को अपने स्वत्व के बल पर उठाना होगा वह स्वत्व है यहाँ का धर्म यहाँ की आध्यात्मिकता ! रामदत्त जी ने कहा भारत में शांति स्थापित करने के लिए ईसाई मिशनरी , स्लाम एवं साम्यवाद जैसे अनेक प्रयास हुए किन्तु सेवा के नाम पर धर्म परिवर्तन अपने क्षुद्र स्वार्थ के कारण ये सब विफल रहे ! हिंदुत्व ही शांति स्थापना में सफल रहा इसी बात पर स्वामी जी को गर्व था वे कहते थे गर्व से कहो में हिन्दू हूँ ........ !
विदेशियों की छाती पर खड़े होकर उन्होंने हिंदुत्व की प्रतिष्ठा की ११ सितम्बर १८९३ से पूर्व और उसके बाद के इतिहास का अध्ययन करें तो स्वयं हमें
अंतर दीख पड़ेगा कैसे अपने स्वत्व के बोध की ताकत से स्वामी जी ने आत्मविश्व जाग्रत किया था ! अर्थात आत्मबोध, हिंदुत्व का भान , और सकारात्मक कार्यों की क्षमता में वृद्धि यही वे मार्ग है जिससे वर्तमान की नैतिक पतन से जुडी सभी चुनौतियों से लड़ सकते है !
कार्यक्रम का आरम्भ ॐ प्रार्थना से हुआ, प्रस्तावना में संक्षिप्त केंद्र व उत्सव परिचय दिया गया ! आभार प्रांत प्रमुख श्री रामभुवन जी ने माना ! आगामी सार्धशती समारोह के कार्यक्रमों की सूचना ,सर्वे भवन्तु .... से कार्यक्रम का समापन हुआ ! सभी केंद्र कार्यकर्ताओं के साथ नगर के प्रबुद्ध जन उपस्थित थे.
No comments:
Post a Comment