विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त द्वारा दिनांक 23 जून से 28 जून 2013 तक कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन विनायक विद्यापीठ करोही, भीलवाड़ा में अयोजित किया गया। जिसमें 55 शिविरार्थियो ने भाग लिया तथा 16 कार्यकर्ता उपस्थित रहे । शिविर में 61 भाई व 10 बहिने थी। रविवार 23 जून शाम को सभी शिविरार्थियो का पंजिकरण किया गया । शिविरमें गण के नाम राजा भास्कर सेतूपती, स्वामी निश्चयानन्द , जय जय गुडवीन, स्वामी शरदचन्द, आलासिंगा पेरुमल, क्षिर भवानी, भवतारीणी रखे गये।
प्रथम दिनः सोमवार 24 जून से शिविर की नियमित गति विधियाँ प्रारम्भ हुई । उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि श्री बनवारी जी मुरारका, उद्योगपति भीलवाड़ा, शिविर अधिकारी बृजमोहन पारीक तथा प्रान्त प्रमुख भगवान सिंह जी, उपस्थित थे । श्री भगवान सिंह जी द्वारा प्रस्तुत की गई प्रथम दिन का मन्थन विषय सेवा कार्य, युवा सेवा कार्य से कैसे जुडे पर गणसः मन्थन प्रस्तुति की गई । द्वितीय सत्र् सेवा कार्यरचना दीदी ने बताया कि कोई भी कार्य प्रेरणा के बिना सम्भव नही होता हैं दूसरो के लिए रत्तीभर सोचने से अपने ह्रदय मे से सिंह जैसा बल प्राप्त होता हैं, विभिन्न रोचक उदाहरणो के द्वारा सेवा कार्य के बारे में बताया गया ।
द्वितिय दिनः द्वितिय दिन का प्रथम सत्र ‘‘स्वामी विवेकानन्द और भारतीय संस्कृति’’ विषय पर था जिनको आ. राजेष जी समदानी द्वारा व्यक्त किया गया । उन्होने बताया कि पायश्चात्य संस्कृति का चरम लक्ष्य भौतिकता का उपभोग करना परन्तु भारतीय संस्कृति का आधार त्याग और सेवा रहा है। भारतीय संस्कृति की विभिन्न विशेषताओ का वर्णन उनके द्वारा किया गया । शिविरार्थियो को सत्संग व स्वाध्याय करने का आग्रह किया गया । मन्थन चर्चा का विषय "उतिष्ठत! जाग्रत !" पुस्तक से रखा गया । द्वितिय सत्र् ‘‘धरती धोरा री’’ आ. गोबिन्द जी गौड़ द्वारा लिया गया, राजस्थान के राजा महाराजाओ का इतिहास यहाँ के बलिदान की शोर्य गाथाँए, भारत का इतिहास कब व कैसा रहा इन सबको स्पष्ट रूप से बिन्दुवार तिथि सहित प्रस्तुत किया जो शिविरार्थी यो को अत्यन्त प्रभावित किया ।
तृतीय दिनः तृतीय दिन का प्रथम सत्र ‘‘कथा शिलास्मारक की’’ शिविर प्रमुख अविनाष भैया द्वारा लिया गया । उन्होने मा. एकनाथ जी के बारे में बताते हुए किस प्रकार शिलास्मारक का निर्माण करवाया, कैसी विपरीत परिस्थितियो में भी स्मारक निर्माण की रोचक घटना के बारे में बताया गया । इसी दिन मन्थन का विषय कार्यकर्ता निर्माण विषय पर रहा जिनको आ. शकुन्तला दीदी द्वारा समझाया गया कि एक केन्द्र कार्यकर्ता मे क्या क्या गुण होने चाहिए उसे समाज मे कैसे रहना है । द्वितीय सत्र कार्यप्रणाली एवं कार्यपद्धति बौद्धिक प्रमुख सांवर भैया द्वारा व्यक्त किया गया िन्होने केन्द्र की तीनो पद्धतियो को विस्तार से बताया तथा कार्यप्रणाली के अन्तर्गत लोकसम्पर्क, लोकसंग्रह, लोक संस्कार व लोक व्यवस्था के मुख्य बिन्दुओ को अच्छे वक्तव्य के साथ रखा गया ।
चतुर्थ दिनः शिविर के चतुर्थ दिन का प्रथम सत्र् "स्वामी विवेकानन्द और कार्यकर्ता निर्माण" विषय आ. बलराज जी आचार्य द्वारा व्यक्त किया गया । उन्होने बताया कि हमारा जीवन लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए तथा उस लक्ष्य के प्रति सजग रहने वाले विभिन्न व्यक्ति संसार में प्रसिद्ध हुए है, जैसे डा.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। एक कार्यकर्ता को अपनी गलती सहर्ष स्वीकार करनी चाहिए । इसी दिन का विषय विवेकानन्द केन्द्र में दायित्व राजस्थान में कार्य/नगर स्थान/प्रवास आ. रचना दीदी द्वारा लिया गया। जिसमें दीदी ने विवेकानन्द केन्द्र के एक कार्यकर्ता के क्या क्या दायित्व रहते है। राजस्थान मे कहाँ कहाँ कार्य हो रहा हैं, कितने कार्य स्थान, कितने नगर स्थान हैं इसके बारे में विस्तृत रूप से विषय को शिवरार्थियो को बताया गया। द्धितीय सत्र का विषय ‘‘स्वामी विवेकानन्द वर्तमान आवश्यकता’’ पर रहा जिनके वक्ता आ. रचना दीदी थे । इन्होने बताया कि स्वामी विवेकानन्द और आद्य शंकराचार्य का जीवन मिलता जुलता है। हिन्दु का आदर्ष चरित्र माँ सीता है, हमें अपने दिशा और ध्येय का चिन्तन करना होगा । दीदी ने स्वामी विवेकानन्द के विभिन्न आह्वानो से कार्यकर्ताओ को आह्वान किया । सभी शिविरार्थीयो को कम से कम पाँच दृढ़ संकल्प लेने को कहा गया तथा हमेंशा इन सकंल्पो को स्मरण करने का भी आह्वान किया गया ।
पंचम दिनः शिविर का अन्तिम दिन सभी का परिचय व अनुभव सत्र रखा गया जिसमें सभी शिविरार्थियो ने अपना परिचय देते हुए शिविर का अनुभव व अपने चारित्रिक गुणो का विकास हुआ इसके बारे में बताया गया । इसके पश्चात सभी शिविरार्थियो के नगरस: बैठक रखी गई । आहुति सत्र प्रातः 9.30 बजें रखा गया जिसके मुख अतिथि विवेकानन्द केन्द्र के सयुक्त महासचिव मा. रेखा दीदी थे । दीदी ने बताया कि कार्यकर्ता ही संगठन के प्राण हैं, एक केन्द्र कार्यकर्ता को अपना परिचय देने की जरूरत नही होती बल्कि उसके काम से परिचय अपने आप हो जाना चाहिए । कार्यकर्ता को मन, वाणी व बुद्धि को प्रखर बनाने के लिए उसे तप करने की आवष्यकता हैं, हमें अधिक अर्चन करने की क्षमता के विकास के साथ जितना गृहण करे उनसे कई गुना अधिक देने की प्रवृति रखनी है । दीदी ने सभी शिविरार्थियो व कार्यकर्ताओ को सकंल्प दिलाते हुए आह्वान किया कि पूर्णकालीन कार्यकर्ता बनने हेतु आगे आये ।
शिविर मे स्वामी विवेकानन्द सार्धषती समारोह पर प्रत्येक दिन पौने घण्टे का विषय रखा गया जिसमें इस समारोह के आने वाले कार्यक्रमो में अपनी भागीदारी केसे रहे तथा सम्पर्क कैसे करना हैं इत्यादि बिन्दुओ द्वारा षिविरार्थियो का बताया गया ।
स्वामी जी का भारत दर्षनः शिविर में स्वामी जी का भारत दर्षन विषय पर प्रत्येक दिन आधे घण्टे का विषय रखा गया जिसमें स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रसंग विभिन्न घटनाए तथा प्रेरणा रूप कहानी विडियो क्लिप व कहानी प्रस्तुति के माध्यम से षिविरार्थियो के मध्य रखा गया ।
केन्द्र प्रार्थनाः इसके अलावा मन्थन द्वितिय जिसमें चार दिन केन्द्र प्रार्थना पर रहा जिसमे चार दिन केन्द्र प्रार्थना पर रहा जिसमें षिविरार्थियो को आह्वान किया कि आप प्रतिदिन केन्द्र प्रार्थना जरूर करे ।
प्रभात फेरीः शिविर में एक दिन प्रभात फेरी का आयोजित षिविर स्थल से 2 कि.मी. दुर स्थित कारोही गांव में रखा गया जिसमें शिविरार्थियो द्वारा भजन व गीत सामुहिक व एकल प्रस्तुति रही । गांव की ग्रामीणजनो ने भी उत्साह में प्रभात फेरी में भाग लिया सभी लोग उत्साहित हो रहे थे यहाँ स्थित श्री हनुमान मन्दिर में शिर्विरार्थियो का प्रातः स्मरण व योग वर्ग गतिविधि हुई ।
एक शाम प्रेरणा से पुनरत्थानः शिविर में एक शाम प्रेरणा से पुनरत्थान की गतिविधि षिविर स्थल से 1 किमी दुर स्थित मेगरास गाँव के श्री चारभुजानाथ मन्दिर प्रागंण में रखा गया । जहाँ कार्यकर्ताओ द्वारा लघुनाटिका का मंचन किया गया भजन, गीत इत्यादि की प्रस्तुति दी गई । इसमें सभी ग्रामवासियो ने उत्साह से भाग लिया ।
साहित्य सेवाः शिविर में एक दिन 1:30 घण्टे का साहित्य सेवा ग्राम सम्पर्क की गतिविध गंगापुर गाँव में रख गया जिसमे सभी षिर्विरार्थियो के बीच 5-5 की टोली बनाई गई वहाँ बाजार, घरो में सम्पर्क किया गया । सभी सदस्यो का अच्छा अनुभव रहा ।
इनके अतिरिक्त शिविर में योग वर्ग गीता पठन, मन्थन प्रस्तुति, गीत सत्र, संस्कार वर्ग, भजन सन्ध्या, हनुमान चालीसा विभिन्न गतिविधिया सुचारू रूप से संचालित हुई । शिविर अधिकारी श्री बृजमोहन जी पारीक, सह शिविर अधिकारी प्रान्त संगठक रचना दीदी, शिविर प्रमुख अविनाष पारीक, तथा सह शिविर प्रमुख श्रवण पटेल थे । शिविर में नगर प्रमुख भीलवड़ा डा.अर्जुन वैष्णव, प्रान्त प्रमुख श्री भगवान सिंह जी, शकुन्तला जी डाड की भी उपस्थिति रही ।
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