Thursday, July 18, 2013

Vimarsh : Uttarakhand Trasadi : Ek Chintan

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विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शााखा भोपाल द्वारा आयोवित “विमर्श” एक वैचारिक जाागरण श्रुंखला दिनांक 13 जुलाई 2013 को संपन्न हुआ I समारोह वर्ष के दौरान प्रबुद्ध  वर्ग गोष्ठी के रूप में यह आयोजन किया गया था I “उत्तराखंड त्रासदी : एक चिंतन” विषय पर दुष्यंत कुमार पाण्डुलिपि संग्रहालय भोपाल में आयोजित इस मंथन मे नगर के चिन्तक  जन उपस्थित रहे, ज्वलंत विषय होने के कारण लोगों की श्रेष्ठ एवं जागरूक सहभावगता रही I इस घटनाक्रम से संबंधित अनेक तथ्यात्मक बिन्दुओं पर चर्चा हुई, इसी वर्ष उत्तराखंड की यात्रा करने वाले केन्द्र कायशकताश भी उपवथथत थे विन्हंने तत्कालीन
परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस भयावह स्थिति का अंदेशा वहां के सामान्य लोगों को हो गया था I इसके अतिरिक्त राजनैतिक असंवेदनशीलता, मानवीय धर्म, मानवीय कर्तव्यों को लेकर भी अनेक बिन्दु विमर्श मे आये, हमारे ही धार्मिक स्थलों के प्रति बदलता हुआ हमारा दृष्टिकोण इस तरह की परिस्थितियों को न्योता देता है अस्तु आपदा प्राकृतिक नहीं मानवीकृत ही है I  जब जब हम अपनी नैतिक जिम्मेदारियों से विमुख हुए है तब तब प्रकृति ने हमें संकेत दिया है I

चार धाम यात्रा भी अमरनाथ यात्रा की तरह प्रमुख है इसलिए इसके प्रबंधन व नियोजन हेतु कोई निश्र्चित कदम उठाये जाने चाहिए जैसे यात्रियोंका पंजीयन, प्रति वर्ष यात्रियों की संख्या का निर्धारिकरण इत्यादी I चर्चा का समापन करते हुए प्रान्त प्रमुख श्री रामभुवन सिंहजी ने बताया कि "धर्म भारत की आत्मा है" और यदि किसी भी रूप से अपने क्षुद्र स्वार्थ हेतु इस आत्म तत्व पर प्रहार हुआ तो यह देश इस तरह की चुनौतियों से जूझता रहेगा I श्री रामभुवन जी ने सेना के कार्य की सराहना करते हुए सादर कृतज्ञता व्यक्त की I नगर प्रमुख श्री मनोज पाठक जी ने विमर्श की प्रस्तावना रखी, कायक्रम का संचालन नगर स्वाध्याय प्रमुख श्री सौरभ शुक्ला जी ने किया I प्रान्त संगठक आ.शीतल दीदी एवं अन्य सभी दायित्ववान कायकर्ता कार्यक्रम में सहभागी हुए I

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