Tuesday, March 28, 2023

Yoga Satra - Ajmer

एक विचार लो। उसे अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जीओ। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूबो दो और बाकी सभी विचारों को किनारे रख दो। यही सफल होने का तरीका है। स्वामी विवेकानन्द के इस विचार से विश्व में महान व्यक्तित्वों का निर्माण हुआ है। कार्य करते समय केवल कार्य का चिंतन करना और परिणाम को ईश्वर के चरणों में समर्पित करने का भाव रखना ही जीवन में न केवल सफलता प्राप्त होती है अपितु चिंता एवं तनाव भी दूर रहता है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान के प्रान्त कार्यपद्धति प्रमुख डाॅ. स्वतन्त्र शर्मा ने क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, अजमेर के बी.एस.सी. बीएड के विद्यार्थियों को त्रिदिवसीय योग सत्र के समापन के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने व्यक्तित्व के पांच आयामों की व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे अस्तित्व के पांच भाग होते हैं जिसमें पहला शरीर होता है तथा दूसरा उसे चलाने वाली ऊर्जा जिसे प्राण कहते हैं। तीसरा इस प्राण का स्रोत मन होता है तथा चैथा मन को दिशा देने वाली शक्ति बुद्धि होती है। पांचवा और अंतिम आयाम इन चारों के योग से बनता है जिसे आनन्द कहते हैं और यही योग का अंतिम लक्ष्य है। 

इस योग सत्र में विद्यार्थियों को श्वसन के अभ्यासों के साथ ही शिथिलीकरण अभ्यास सिखाए गए तथा बीजमंत्रों के साथ सूर्यनमस्कार का अभ्यास सिखाया गया। इसके अतिरिक्त मन को शांत रखने के लिए आसन कराए गए तथा कपालभाति क्रिया, नाड़ी शुद्धि प्राणायाम एवं भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास भी कराया गया। विवेकानन्द केन्द्र अजमेर के युवा प्रमुख अंकुर प्रजापति ने अभ्यासों का प्रदर्शन किया तथा सत्र समन्वयक प्रो0 आयुष्मान गोस्वामी रहे।