विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और विवेकानंद केंद्र ने पुरस्कार में प्राप्त राशी रुपए एक करोड़ को शहीदों के परिवारों को इनके कल्याणर्थ समर्पित किया ।
महामहिम राष्ट्रपति, आदरणीय प्रधानमंत्री, उपस्थित सभी मंत्री गण, महानुभावों को विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी का अभिवादन और प्रणाम । कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य में स्थित विवेकानंद शिला स्मारक के ५० वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर, विवेकानंद केंद्र के कार्य को, यह गाँधी शांति पुरस्कार देने के लिए गाँधी शांति पुरस्कार समिति सदस्य तथा समिति के अध्यक्ष माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी को हम विशेष धन्यवाद देते है ।
विवेकानंद शिला स्मारक को माननीय एकनाथजी रानडे ने केंद्र सरकार, सारे राज्य सरकार तथा भारतीय जनता के सहयोग से 1970 में पूर्ण किया था. इसके निर्माण में पूर्ण भारत ने एक होकर स्वामी विवेकानंद के प्रति अपनी श्रध्दा को मूर्त रूप दिया था. सही अर्थ से यह राष्ट्रीय स्मारक रहा है. उसी शिला पर है स्वामी विवेकानंद ने भारत की एकात्मता तथा पुनरुत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करनेका का निर्णय लिया था ।
विवेकानंद केंद्र इसी स्मारक का द्वितीय चरण है. देश के लिए समर्पित जीवनव्रती कार्यकर्ता और स्थानिक कार्यकर्ता विवेकानंद केंद्र के सेवा कार्य को दुर्गम क्षेत्रोंमें, ग्रामीण क्षेत्रोंमें चला रहे हैं. विवेकानंद केंद्र, स्वामी विवेकानंदजी के विचार ‘मनुष्य के अन्तर्निहित शक्ति के प्रगटन’ तथा ‘मानव सेवा ही माधव सेवा है’ इसे आधारभूत रखते हुए मनुष्य निर्माण और राष्ट्र पुनरुत्थान का कार्य 900 से अधिक स्थानों पर आज संचालित कर रहा है ।
महात्मा गाँधी जी ने शांति और सौहार्दपूर्ण भारतीय समाज को रामराज्य के रूप में देखा था ऐसे समाज निर्माण में बुनियादी शिक्षा, ग्रामीण विकास और नैसर्गिक उर्जा का प्रयोग, युवा और स्त्रियों का विकास एवं राष्ट्रकार्य में उनका सहभाग, विश्वबंधुत्व के लिए कार्य ऐसे अनेक क्षेत्रों में विवेकानंद केंद्र कार्यरत है. इस गांधी शांति पुरस्कार ने विवेकानंद केंद्र के कार्य की गरिमा को निश्चित बढ़ाया है उससे ही अधिक, दुर्गम क्षेत्र में कार्य करनेवाले हजारो कार्यकर्ताओं के सेवा और समर्पण को ही प्रतिष्ठित किया है. विवेकानंद केंद्र गांधी शांति पुरस्कार को सहर्षातासे, कृतज्ञता से तथा अत्यंत विनयतापूर्वक स्वीकार करते हुए इस कार्य को निरन्तरता से और परिणामकारी आगे ले जाने का दृढ़ संकल्प दोहराता है ।
पुलवामा की आतंकी घटना और उसमे शहीद हुए हमारे वीर जवानों का स्मरण करते हुए, इस पुरस्कार में प्राप्त राशी, विवेकानंद केंद्र, भारतीय सेना और शहीद जवानों के परिवार के हित में विनिमय करनेका निर्णय लेता हैं ।
महामहिम राष्ट्रपति, आदरणीय प्रधानमंत्री, उपस्थित सभी मंत्री गण, महानुभावों को विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी का अभिवादन और प्रणाम । कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य में स्थित विवेकानंद शिला स्मारक के ५० वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर, विवेकानंद केंद्र के कार्य को, यह गाँधी शांति पुरस्कार देने के लिए गाँधी शांति पुरस्कार समिति सदस्य तथा समिति के अध्यक्ष माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी को हम विशेष धन्यवाद देते है ।
विवेकानंद शिला स्मारक को माननीय एकनाथजी रानडे ने केंद्र सरकार, सारे राज्य सरकार तथा भारतीय जनता के सहयोग से 1970 में पूर्ण किया था. इसके निर्माण में पूर्ण भारत ने एक होकर स्वामी विवेकानंद के प्रति अपनी श्रध्दा को मूर्त रूप दिया था. सही अर्थ से यह राष्ट्रीय स्मारक रहा है. उसी शिला पर है स्वामी विवेकानंद ने भारत की एकात्मता तथा पुनरुत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करनेका का निर्णय लिया था ।
विवेकानंद केंद्र इसी स्मारक का द्वितीय चरण है. देश के लिए समर्पित जीवनव्रती कार्यकर्ता और स्थानिक कार्यकर्ता विवेकानंद केंद्र के सेवा कार्य को दुर्गम क्षेत्रोंमें, ग्रामीण क्षेत्रोंमें चला रहे हैं. विवेकानंद केंद्र, स्वामी विवेकानंदजी के विचार ‘मनुष्य के अन्तर्निहित शक्ति के प्रगटन’ तथा ‘मानव सेवा ही माधव सेवा है’ इसे आधारभूत रखते हुए मनुष्य निर्माण और राष्ट्र पुनरुत्थान का कार्य 900 से अधिक स्थानों पर आज संचालित कर रहा है ।
महात्मा गाँधी जी ने शांति और सौहार्दपूर्ण भारतीय समाज को रामराज्य के रूप में देखा था ऐसे समाज निर्माण में बुनियादी शिक्षा, ग्रामीण विकास और नैसर्गिक उर्जा का प्रयोग, युवा और स्त्रियों का विकास एवं राष्ट्रकार्य में उनका सहभाग, विश्वबंधुत्व के लिए कार्य ऐसे अनेक क्षेत्रों में विवेकानंद केंद्र कार्यरत है. इस गांधी शांति पुरस्कार ने विवेकानंद केंद्र के कार्य की गरिमा को निश्चित बढ़ाया है उससे ही अधिक, दुर्गम क्षेत्र में कार्य करनेवाले हजारो कार्यकर्ताओं के सेवा और समर्पण को ही प्रतिष्ठित किया है. विवेकानंद केंद्र गांधी शांति पुरस्कार को सहर्षातासे, कृतज्ञता से तथा अत्यंत विनयतापूर्वक स्वीकार करते हुए इस कार्य को निरन्तरता से और परिणामकारी आगे ले जाने का दृढ़ संकल्प दोहराता है ।
पुलवामा की आतंकी घटना और उसमे शहीद हुए हमारे वीर जवानों का स्मरण करते हुए, इस पुरस्कार में प्राप्त राशी, विवेकानंद केंद्र, भारतीय सेना और शहीद जवानों के परिवार के हित में विनिमय करनेका निर्णय लेता हैं ।
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